ग्वालियर।
यह कारागृह नहीं बल्कि सुधारगृह है। इसमें आपको अपने में सुधार लाने के
लिए रखा गया है, शिक्षा देने नहीं। यह उद्गार माउंट आबू से प्रजापिता
ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के मुख्यालय से आए राजयोगी
ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहे। वे बुधवार को यहां सेंट्रल जेल में कैदियों
को कम गति और व्यवहार शुद्धि विषय पर दिए । उन्होंने कहा कि जेल के इस
एकांत स्थान पर बैठकर स्वयं को परिवर्तन करने के लिए सोचो कि मैं इस संसार
में क्यों आया हूं। मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है? मुझे परमात्मा ने किस
उद्देश्य
से यहां भेजा है? मैं यहां आकर क्या कर रहा हूं? ऐसी बातों का चिंतन करने
से संस्कार, व्यवहार परिवर्तन होगा। उन्होंने कहा कि यह कारागृह आपके जीवन
को सुधार लाने हेतु तपोस्थली है। भगवानभाई ने कहा कि बदले लेने के बजाय
स्वयं को ही बदलकर दिखाने की प्रवृत्ति रखनी है। उन्होंने कहा कि हम किसके
बच्चे हैं? जिस परमात्मा के हम बच्चे हैं वह तो शांति का सागर, दयालू,
कृपालू, क्षमा का सागर है। हम स्वयं को भूलने से ऐसी गलतियां कर बैठते हैं।
उन्होंने कहा कि हम ऐसा कोई कर्म न करें जिस कारण धर्मराज पूरी में हमें
सिर झुकाना पड़े, पछताना पड़े रोना पड़े। जेल अधीक्षक डीएस अलावा ने कहा कि
मनुष्य जन्मता अपराधी नहीं होता परंतु गलत संगत, खान-पान, जलन और दुर्गुणों
के कारण अपराधी बनता है। जेल शिक्षक भी भानूदास शर्मा ने भी अपने संबोधन
में कैदी बंधुओं को आचरण में सुधार लाने की अपील की। कार्यक्रम में बीके
नरेशभाई भी उपस्थित थे।
No comments:
Post a Comment