Pages

Thursday, October 31, 2013

शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ब\'चों को चरित्रवान बनाना होता है।

-शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ब\'चों को चरित्रवान बनाना होता है। एक शिक्षक अपने शिष्यों को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है और उसके अवगुणों को गुणों में बदल देता है। शिक्षक एक शिल्पकार की तरह होता है, जिस प्रकार एक शिल्पकार मूर्ति को आकार प्रदान करता है, ठीक उसी प्रकार शिक्षक विद्यार्थी के जीवन को सही दिशा देने का प्रयास करता है। चरित्र निर्माण में एक शिक्षक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यह विचार प्रजापित ब्रम्हाकुमार विश्वविद्यालय माउंट आबू के भगवान भाई ने शिक्षक की भूमिका पर डीडीएम पब्लिक स्कूल में शुक्रवार को आयोजित सेमीनार में व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि यदि एक शिक्षक अनुशासनप्रिय है तभी वह अपने छात्रों को अनुशासनप्रिय बना सकता है। अगर शिक्षक सहनशील है तभी वह विद्यार्थी को सहनशीलता का पाठ पढ़ा सकता है। किसी व्यक्ति का बाहरी व्यक्तित्व यदि बहुत अ\'छा न हो तब भी कोई बड़ी बात नहीं, लेकिन उसका भीतरी व्यक्तित्व सुदृढ होना चाहिए। जैसा कि कहा जाता है कि अगर व्यक्ति के पास से धन गया तो उसका कुछ नहीं गया, लेकिन यदि उसका चरित्र गया तो सबकुछ चला गया। पर आज के समय में चरित्र बल कमजोर पड़ता जा रहा है। धन की लालसा में लोग चरित्र निर्माण पर ध्यान नहीं दे रहे हंै। इन सारी समस्याओं के समाधान के लिए एक शिक्षक का जागरूक होना बहुत आवश्यक है। आज के समय में जो बीमारियां हो रही है उसका बहुत बड़ा कारण मन में घुला हुआ विष है। नैतिक शिक्षा इक्कीसवी सदी में हमारी मूलभूत आवश्यकता बन गई है। नैतिक शिक्षा शिक्षा का आधार होती है। आज के समय में नैतिक शिक्षा का मूल्य कम होता जा रहा है। ब\'चे बाहरी आडंबर के पीछे भाग रहे है। ब\'चे आने वाले समाज का दर्पण होते हैं, यदि वह ही इन मूल्यों से अछूते रहे तो समाज की रीढ़ ही कमजोर हो जाएगी। ब\'चे की नैतिक शिक्षा का प्रारंभ उसके घर से होता है जो उसे अपनी मां से प्राप्त होता है। बीके किशन भाई व बीके शशि दीदी ने शिक्षकों को संबोधित किया। आभार प्रदर्शन श्रीमती
वीबी सिंह ने किया।

शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ब\'चों को चरित्रवान बनाना होता है।

-शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ब\'चों को चरित्रवान बनाना होता है। एक शिक्षक अपने शिष्यों को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है और उसके अवगुणों को गुणों में बदल देता है। शिक्षक एक शिल्पकार की तरह होता है, जिस प्रकार एक शिल्पकार मूर्ति को आकार प्रदान करता है, ठीक उसी प्रकार शिक्षक विद्यार्थी के जीवन को सही दिशा देने का प्रयास करता है। चरित्र निर्माण में एक शिक्षक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यह विचार प्रजापित ब्रम्हाकुमार विश्वविद्यालय माउंट आबू के भगवान भाई ने शिक्षक की भूमिका पर डीडीएम पब्लिक स्कूल में शुक्रवार को आयोजित सेमीनार में व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि यदि एक शिक्षक अनुशासनप्रिय है तभी वह अपने छात्रों को अनुशासनप्रिय बना सकता है। अगर शिक्षक सहनशील है तभी वह विद्यार्थी को सहनशीलता का पाठ पढ़ा सकता है। किसी व्यक्ति का बाहरी व्यक्तित्व यदि बहुत अ\'छा न हो तब भी कोई बड़ी बात नहीं, लेकिन उसका भीतरी व्यक्तित्व सुदृढ होना चाहिए। जैसा कि कहा जाता है कि अगर व्यक्ति के पास से धन गया तो उसका कुछ नहीं गया, लेकिन यदि उसका चरित्र गया तो सबकुछ चला गया। पर आज के समय में चरित्र बल कमजोर पड़ता जा रहा है। धन की लालसा में लोग चरित्र निर्माण पर ध्यान नहीं दे रहे हंै। इन सारी समस्याओं के समाधान के लिए एक शिक्षक का जागरूक होना बहुत आवश्यक है। आज के समय में जो बीमारियां हो रही है उसका बहुत बड़ा कारण मन में घुला हुआ विष है। नैतिक शिक्षा इक्कीसवी सदी में हमारी मूलभूत आवश्यकता बन गई है। नैतिक शिक्षा शिक्षा का आधार होती है। आज के समय में नैतिक शिक्षा का मूल्य कम होता जा रहा है। ब\'चे बाहरी आडंबर के पीछे भाग रहे है। ब\'चे आने वाले समाज का दर्पण होते हैं, यदि वह ही इन मूल्यों से अछूते रहे तो समाज की रीढ़ ही कमजोर हो जाएगी। ब\'चे की नैतिक शिक्षा का प्रारंभ उसके घर से होता है जो उसे अपनी मां से प्राप्त होता है। बीके किशन भाई व बीके शशि दीदी ने शिक्षकों को संबोधित किया। आभार प्रदर्शन श्रीमती
वीबी सिंह ने किया।

राजयोग से मनोबल बढ़ता है: भगवान भाई

राजयोग से मनोबल बढ़ता है: भगवान भाई
भास्कर न्यूजत्नफलौदी
आधुनिक जीवन शैली तनाव पैदा कर रही है। तनाव का सीधा संबंध बीमारी से है। राजयोग में मेडिटेशन के अभ्यास द्वारा हम अपने मनोबल को मजबूत कर तनाव से मुक्त रह सकते हैं। प्रजापिता ब्रह्म कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू के राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने बुधवार को स्थानीय ब्रह्म कुमारी राजयोग केंद्र पर जीवन में राजयोग का महत्व विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहे।

उन्होंने कहा कि तनाव से बचने के लिए जीवन शैली में बदलाव की आवश्यकता है। तनाव का कारण प्रत्येक व्यक्ति का अलग-अलग है। तनाव का मुख्य कारण मन में उठने वाले नकारात्मक विचार है। नकारात्मक विचारों से आपसी व्यवहार में कटुता आती है। नकारात्मक विचारों से घृणा, नफरत, वैर, विरोध, क्रोध आदि उत्पन्न होता है। नकारात्मक विचारों से दृष्टि और दृष्टिकोण और व्यवहार भी नकारात्मक बनता है जिससे मन में तनाव निर्माण होता है।

भगवान भाई ने कहा कि राजयोग के अभ्यास द्वारा मनोबल को मजबूत कर तनाव से मुक्ति पाई जा सकती है। तनाव के कारण मानसिक और शारीरिक अनेक बीमारियां होने की संभावना होती है। उन्होंने राजयोग को तनाव मुक्ति की संजीवनी बूटी कहते हुए उन्होंने कहा कि राजयोग का अभ्यास करने से आंतरिक शक्तियां जागृत होती हैं जिससे तनाव पर काबू पाया जा सकता है। स्थानीय ब्रह्म कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मनीषा बहन ने ईश्वरीय महावाक्य सुनाते हुए कहा कि वर्तमान समय तनावपूर्ण परिस्थिति में सकारात्मक विचारों की आवश्यकता है। सत्संग के माध्यम से सकारात्मक विचार आते हैं।

ब्रह्मकुमारी राजयोग केंद्र पर जीवन में राजयोग का महत्व बताते भगवान भाई।

हिम्मत करने वालो की हार नहीं होती

हिम्मत करने वालो की हार नहीं होती
लहरों से डर कर नैया पार नहीं होती.

नन्ही चींटी जब दाना ले कर चलती है
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़ कर गिरना, गिर कर चढ़ना न अखरता है
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
डुबकियाँ सिन्धु में गोताखोर लगाता है
जा जा कर खाली हाथ लौट आता है
मिलते न सहज ही मोटी पानी में
बढ़ता दूना उत्साह इसी हैरानी में
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती
असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो
क्या कमी रह गयी, देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो, नींद चैन त्यागो तुम
संघर्ष करो मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय जयकार नहीं होती
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती

नैतिक मूल्यों को भूलने से हुआ समाज का पतन- भगवान भाई

नैतिक मूल्यों को भूलने से हुआ समाज का पतन- भगवान भाई

नैतिक मूल्यों को भूलने से हुआ समाज का पतन- भगवान भाई, केआईटी में छात्रों को दिए मानव मूल्यों पर टिप्स

रायगढ़  । बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है। नैतिक शिक्षा से ही सर्वांगीण विकास संभव है। उक्त उद्गार प्रजापिता ब्रह्माकमारी ईश्वरीय विश्य विद्यालय माउंट आबू राजस्थान से पधारे राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहे। वे आज शनिवार को किरोड़ीमल इंजीनियरिंग कॉलेज ऑफ टेक्नालॉजी में नैतिक शिक्षा का महत्व विषय पर छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए बोल रहे थे। भगवान भाई ने कहा कि शैक्षणिक जगत में विद्यार्थियों के लिए नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि नैतिक मूल्यों की कमी यही व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सर्व समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यवहारिक ज्ञान एवं अन्य बातों के लिए प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने बताया कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश की ओर, असत्य से सत्य की ओर, बन्धनों से मुक्ति की ओर ले जाए वही शिक्षा है। उन्होंने कहा कि अपराध मुक्त समाज के लिए संस्कारित शिक्षा जरुरी है। गुणगान बच्चे देश की संपत्ति भगवान भाई ने कहा कि आज के बच्चे कल का भावी समाज हैं। अगर कल के भावी समाज को इन्हीं बच्चों को नैतिक सद्गुणों की शिक्षा की आधार से चरित्रवान बनाए। तब समाज बेहतर बन सकता है। गुणवान व चरित्रवान बच्चे देश की सच्ची सम्पत्ति हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे गुणवान और चरित्रवान बच्चे देश और समाज के लिए कुछ रचनात्मक कार्य कर सकते हैं। उन्होंने भारतीय संस्कृति को याद दिलाते हुए कहा कि प्राचीन संस्कृति आध्यात्मिकता की रही जिस कारण प्राचीन मानव भी वंदनीय और पूजनीय रहा। उन्होंने बताया कि नैतिक शिक्षा से ही मानव के व्यवहार में निखार लाता है। कुसंग, सिनेमा, व्यसन, फैशन से युवा भटके ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि वर्तमान समय कुसंग, सिनेमा, व्यसन और फैशन से युवा पीढ़ी भटक रही है। आध्यात्मिक ज्ञान और नैतिक शिक्षा के द्वारा युवा पीढ़ी को नई दिशा मिल सकती है। उन्होंने बताया कि सिनेमा इन्टरनेट व टीवी. के माध्यम से युवा पीढ़ी पर पाश्चात्य संस्कृति का आघात हो रहा है। इस आघात से युवा पीढ़ी को बचाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि युवा पीढ़ी को कुछ रचनात्मक कार्य सिखायें तब उनकी शक्ति सही उपयोग में ला सकेंगे। वरिष्ठ राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि हमारे मूल्य हमारी विरासत है। मूल्य की संस्कृति के कारण आज भारत की पूरे विश्व में पहचान है। इसलिए नैतिक मूल्य, मानवीय मूल्यों की पुर्नस्थापना के लिए सभी को सामूहिक रूप में प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि मनुष्य की सोच ही उसके कर्मों का आधार बनता है। इसलिए कर्म विश्व के लिए हितकारी हो। सकारात्मक चिन्तन का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि सकारात्मक चिन्तन से समाज में मूल्यों की खुशबू फैलती है। सकारात्मक चिन्तन से जीवन की हर समस्याओं का समाधान होता है। उन्होंने शिक्षा का मूल उद्देश्य बताते हुए कहा कि चरित्रवान, गुणवान बनना ही शिक्षा का उद्देश्य है। उन्होंने आध्यात्मिकता को मूल्यों का स्रोत बताते हुए कहा कि शांति, एकाग्रता, ईमानदारी, धैर्यता, सहनशीलता आदि सद्गुण मानव जाती का श्रृंगार है। स्थानीय ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवाकेन्द्र की बी.के. ममता बहन ने अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि कुसंग, सिनेमा, व्यसन और फैशन से वर्तमान युवा पीढ़ी भटक रही है। चरित्रवान बनने के लिए युवा को इससे दूर रहना है। अपराध राजयोग का महत्व बताते हुए कहा कि राजयोग से एकाग्रता आयेगी। इस अवसर पर नमिता वर्मा व्याख्याता उक्षमा सूर्यवंशी व्याख्याता केआईटी के.के. गुप्ता रजिस्टार कु. ममता बहन, कु. मधु भाई, कु. भगत भाई, मनोज भाई सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

नैतिक मूल्यों को भूलने से हुआ समाज का पतन- भगवान भाई


नैतिक मूल्यों को भूलने से हुआ समाज का पतन- भगवान भाई, केआईटी में छात्रों को दिए मानव मूल्यों












हिम्मत करने वालो की हार नहीं होती
लहरों से डर कर नैया पार नहीं होती.

नन्ही चींटी जब दाना ले कर चलती है
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़ कर गिरना, गिर कर चढ़ना न अखरता है
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
डुबकियाँ सिन्धु में गोताखोर लगाता है
जा जा कर खाली हाथ लौट आता है
मिलते न सहज ही मोटी पानी में
बढ़ता दूना उत्साह इसी हैरानी में
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती
असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो
क्या कमी रह गयी, देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो, नींद चैन त्यागो तुम
संघर्ष करो मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय जयकार नहीं होती
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती

नैतिक मूल्यों को भूलने से हुआ समाज का पतन- भगवान भाई, केआईटी में छात्रों को दिए मानव मूल्यों पर टिप्स

रायगढ़  । बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है। नैतिक शिक्षा से ही सर्वांगीण विकास संभव है। उक्त उद्गार प्रजापिता ब्रह्माकमारी ईश्वरीय विश्य विद्यालय माउंट आबू राजस्थान से पधारे राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहे। वे आज शनिवार को किरोड़ीमल इंजीनियरिंग कॉलेज ऑफ टेक्नालॉजी में नैतिक शिक्षा का महत्व विषय पर छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए बोल रहे थे। भगवान भाई ने कहा कि शैक्षणिक जगत में विद्यार्थियों के लिए नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि नैतिक मूल्यों की कमी यही व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सर्व समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यवहारिक ज्ञान एवं अन्य बातों के लिए प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने बताया कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश की ओर, असत्य से सत्य की ओर, बन्धनों से मुक्ति की ओर ले जाए वही शिक्षा है। उन्होंने कहा कि अपराध मुक्त समाज के लिए संस्कारित शिक्षा जरुरी है। गुणगान बच्चे देश की संपत्ति भगवान भाई ने कहा कि आज के बच्चे कल का भावी समाज हैं। अगर कल के भावी समाज को इन्हीं बच्चों को नैतिक सद्गुणों की शिक्षा की आधार से चरित्रवान बनाए। तब समाज बेहतर बन सकता है। गुणवान व चरित्रवान बच्चे देश की सच्ची सम्पत्ति हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे गुणवान और चरित्रवान बच्चे देश और समाज के लिए कुछ रचनात्मक कार्य कर सकते हैं। उन्होंने भारतीय संस्कृति को याद दिलाते हुए कहा कि प्राचीन संस्कृति आध्यात्मिकता की रही जिस कारण प्राचीन मानव भी वंदनीय और पूजनीय रहा। उन्होंने बताया कि नैतिक शिक्षा से ही मानव के व्यवहार में निखार लाता है। कुसंग, सिनेमा, व्यसन, फैशन से युवा भटके ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि वर्तमान समय कुसंग, सिनेमा, व्यसन और फैशन से युवा पीढ़ी भटक रही है। आध्यात्मिक ज्ञान और नैतिक शिक्षा के द्वारा युवा पीढ़ी को नई दिशा मिल सकती है। उन्होंने बताया कि सिनेमा इन्टरनेट व टीवी. के माध्यम से युवा पीढ़ी पर पाश्चात्य संस्कृति का आघात हो रहा है। इस आघात से युवा पीढ़ी को बचाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि युवा पीढ़ी को कुछ रचनात्मक कार्य सिखायें तब उनकी शक्ति सही उपयोग में ला सकेंगे। वरिष्ठ राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि हमारे मूल्य हमारी विरासत है। मूल्य की संस्कृति के कारण आज भारत की पूरे विश्व में पहचान है। इसलिए नैतिक मूल्य, मानवीय मूल्यों की पुर्नस्थापना के लिए सभी को सामूहिक रूप में प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि मनुष्य की सोच ही उसके कर्मों का आधार बनता है। इसलिए कर्म विश्व के लिए हितकारी हो। सकारात्मक चिन्तन का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि सकारात्मक चिन्तन से समाज में मूल्यों की खुशबू फैलती है। सकारात्मक चिन्तन से जीवन की हर समस्याओं का समाधान होता है। उन्होंने शिक्षा का मूल उद्देश्य बताते हुए कहा कि चरित्रवान, गुणवान बनना ही शिक्षा का उद्देश्य है। उन्होंने आध्यात्मिकता को मूल्यों का स्रोत बताते हुए कहा कि शांति, एकाग्रता, ईमानदारी, धैर्यता, सहनशीलता आदि सद्गुण मानव जाती का श्रृंगार है। स्थानीय ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवाकेन्द्र की बी.के. ममता बहन ने अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि कुसंग, सिनेमा, व्यसन और फैशन से वर्तमान युवा पीढ़ी भटक रही है। चरित्रवान बनने के लिए युवा को इससे दूर रहना है। अपराध राजयोग का महत्व बताते हुए कहा कि राजयोग से एकाग्रता आयेगी। इस अवसर पर नमिता वर्मा व्याख्याता उक्षमा सूर्यवंशी व्याख्याता केआईटी के.के. गुप्ता रजिस्टार कु. ममता बहन, कु. मधु भाई, कु. भगत भाई, मनोज भाई सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

नैतिक शिक्षा से सर्वांगीण विकास संभव है











 मुरैना-!-ब\"ाों के सर्वांगीण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ नैतिक
शिक्षा भी जरूरी है। नैतिक शिक्षा से सर्वांगीण विकास संभव है। यह बात
गुरुवार को ब्रह्माकुमारी ईश्वरी विश्वविद्यालय माउंट आबू से आए भगवान
भाई ने मुडिय़ा खेड़ा में आयोजित कार्यक्रम में कही। भगवान भाई ने कहा कि
छात्र जीवन में नैतिक मूल्य धारण करें यह आज के समय की आवश्यकता है।
नैतिक मूल्यों की कमी से व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं
अंतरराष्ट्रीय समस्याएं पैदा हो रही हैं। छात्रों के मूल्यांकन में आचरण,
अनुशरण, लेखन, व्यवहारिक ज्ञान एवं अन्य बातों का भी ध्यान दिया जाना
चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा छात्रों को अंधकार से प्रकाश की ओर असत्य
से सत्य की ओर ले जाने वाली होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अपराधमुक्त समाज
के लिए जरूरी है कि युवाओं में मानवीय, नैतिक शिक्षा का समावेश किया जाए।
जब युवा संस्कारित होंगे तो अपराध कम होंगे और समाज अपराध मुक्त होगा।
कार्यक्रम में उपस्थित प्रधानाचार्य कप्तान यादव ने कहा कि मूल्य आधारित
शिक्षा से ही व्यक्ति महान बन सकता है और सद्गुणों से व्यक्तित्व बनता
है। कार्यक््रम में ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की पूनम बहन,
राजेन्द्र कुमार शर्मा, कमलेश राठौड़, निर्मल, कृष्णा शर्मा आदि मौजूद
थे।


Wednesday, October 30, 2013

नैतिक ज्ञान के बिना अधूरी होती है शिक्षा








नैतिक ज्ञान के बिना अधूरी होती है शिक्षा
 
नैतिक ज्ञान के बिना अधूरी होती है शिक्षा 
चरित्र की शिक्षा के लिए संस्कारवान शिक्षा की जरूरत 
माउंट आबू से आए राजयोगी भगवान भाई ने बच्चों को सिखाया नैतिकता का पाठ
भास्कर न्यूज. बिलासपुर
बच्चों के समुचित विकास के लिए किताबी शिक्षा के साथ ही नैतिक शिक्षा भी जरूरी है। इसके बिना सर्वांगीण विकास संभव नहीं है। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, माउंट आबू से आए राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने अखिल भारतीय शैक्षणिक अभियान के अंतर्गत छत्तीसगढ़ स्कूल में स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं।

उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं के लिए जितना जरूरी पढ़ाई है, उतना ही जरूरी नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना है। नैतिक मूल्यों की कमी व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सर्व समस्याओं का मूल कारण है। अत: शैक्षणिक संस्थाओं में पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों का मूल्यांकन, आचरण, अनुसरण, व्यावहारिक ज्ञान, लेखन एवं अन्य बातों की तरफ प्रेरणा देने की जरूरत है। इस तरह भी बच्चे अपना संपूर्ण विकास कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि जो शिक्षा बच्चों को अंधकार से प्रकाश की ओर, असत्य से सत्य की ओर, बंधनों से मुक्ति की ओर ले जाए वही वास्तविक शिक्षा है। अपराध मुक्त समाज की स्थापना के लिए मानवीय मूल्यों, नैतिक मूल्यों, नैतिक शिक्षा एवं आध्यात्मिक शिक्षा के द्वारा वर्तमान के युवाओं को सशक्त व संस्कारित करना जरूरी है। आज का युवा कल का भावी समाज है। वर्तमान का सशक्त युवा भविष्य के समाज को सशक्त बना सकता है। वर्तमान समय कुसंग, सिनेमा, व्यसन और फैशन से युवा पीढ़ी भटक रही है। बच्चे सही और गलत का अंतर नहीं कर पा रहे हैं। इसकी वजह से कई बार बच्चे गलत राह पर भी चले जाते हैं।

आध्यात्मिक ज्ञान और नैतिक शिक्षा के द्वारा युवा पीढ़ी को नई दिशा मिल सकती है। उन्होंने बताया कि सिनेमा, इन्टरनेट व टीवी के माध्यम से युवा पीढ़ी को बचाने की आवश्यकता है। युवा पीढ़ी को कुछ रचनात्मक कार्य सिखाएं तब उनकी शक्ति सही उपयोग में ला सकेंगे। इस तरह उनकी उर्जा सकारात्मक दिशा मिलेगी। आज की युवा पीढ़ी को सकारात्मक, सृजनात्मक, निर्माणात्मक, क्रियात्मक बनने की आवश्यकता है।

इस मौके पर स्वदर्शन भवन राजयोग केंद्र की संचालक बीके सविता बहन ने कहा कि भौतिक शिक्षा से भौतिकता की प्राप्ति होती है। अगर चरित्र निर्माण करना हो तो संस्कारवान शिक्षा की जरूरत है। इस मौके पर बीके रामनाथ भाई, बीके महेश भाई, बीके नकुल भाई, बीके इंद्रा बहन सहित बड़ी संख्या में स्कूल स्टाफ व छात्र-छात्राएं शामिल थे। 

राजयोग से मनोबल बढ़ता है: भगवान भाई


राजयोग से मनोबल बढ़ता है: भगवान भाई
भास्कर न्यूजत्नफलौदी
आधुनिक जीवन शैली तनाव पैदा कर रही है। तनाव का सीधा संबंध बीमारी से है। राजयोग में मेडिटेशन के अभ्यास द्वारा हम अपने मनोबल को मजबूत कर तनाव से मुक्त रह सकते हैं। प्रजापिता ब्रह्म कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू के राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने बुधवार को स्थानीय ब्रह्म कुमारी राजयोग केंद्र पर जीवन में राजयोग का महत्व विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहे।

उन्होंने कहा कि तनाव से बचने के लिए जीवन शैली में बदलाव की आवश्यकता है। तनाव का कारण प्रत्येक व्यक्ति का अलग-अलग है। तनाव का मुख्य कारण मन में उठने वाले नकारात्मक विचार है। नकारात्मक विचारों से आपसी व्यवहार में कटुता आती है। नकारात्मक विचारों से घृणा, नफरत, वैर, विरोध, क्रोध आदि उत्पन्न होता है। नकारात्मक विचारों से दृष्टि और दृष्टिकोण और व्यवहार भी नकारात्मक बनता है जिससे मन में तनाव निर्माण होता है।

भगवान भाई ने कहा कि राजयोग के अभ्यास द्वारा मनोबल को मजबूत कर तनाव से मुक्ति पाई जा सकती है। तनाव के कारण मानसिक और शारीरिक अनेक बीमारियां होने की संभावना होती है। उन्होंने राजयोग को तनाव मुक्ति की संजीवनी बूटी कहते हुए उन्होंने कहा कि राजयोग का अभ्यास करने से आंतरिक शक्तियां जागृत होती हैं जिससे तनाव पर काबू पाया जा सकता है। स्थानीय ब्रह्म कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मनीषा बहन ने ईश्वरीय महावाक्य सुनाते हुए कहा कि वर्तमान समय तनावपूर्ण परिस्थिति में सकारात्मक विचारों की आवश्यकता है। सत्संग के माध्यम से सकारात्मक विचार आते हैं।

बायो --डाटा (परिचय ) ब्रह्मा कुमार भगवान भाई आबू पर्वत बायो --डाटा (परिचय ) ब्रह्मा कुमार भगवान भाई आबू पर्वत ब्रह्माकुमारी नाम: राजयोगी ब्रह्मा कुमार भगवान भाई ब्रह्माकुमारी शांतिवन में राजयोगा टीचर

Add caption


बायो --डाटा (परिचय ) ब्रह्मा कुमार भगवान भाई आबू पर्वत बायो --डाटा (परिचय ) ब्रह्मा कुमार भगवान भाई आबू पर्वत ब्रह्माकुमारी नाम: राजयोगी ब्रह्मा कुमार भगवान भाई ब्रह्माकुमारी शांतिवन में राजयोगा टीचर मुख्यालय प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विद्यालय विश्व आबू पर्वत राजस्तान में रसोई विभाग में ब्रह्मा भोजन में सेवा लेखक, विभिन्न मगैनेस और समाचार पत्रों में शैक्षिक योग्यता: 10 वीं और आय .टी .आय . जन्म तिथि: जून 1, 1965 सेवा स्थान: अबू रोड, शांतिवन ज्ञान में : 1985 सेवा में समर्पित कब से 1987: सेवा --- जैसे, ग्राम विकाश कई आध्यात्मिक अभियानों में , रैली, शिव सन्देश रथ यात्रा, मूल्य आधारित मीडिया अभियान, मूल्य आधारित शिक्षा अभियान, युवा पद यात्रा, आदि भारत के विभिन्न प्रदेशों में, साथ ही में नेपाल में भी भाषण विभिन्न विषयों पर पर संबोधित किया है कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय (5000) स्कूल में नीतिक मूल्य बारे में स्कूलों और जेलों (800) समाज सेवा पुनर्वास शिविर बाढ़ जैसे प्राकृतिक आपदाओं, भूकम्प आदि कोर्स और प्रशिक्षण कार्यक्रम में विभिन्न क्लास लिया है यह ईश्वरीय विश्वविद्यालय के एक बहुत अच्छे लेखक हैं. अपने लेख बहुत बार कई पत्रिकाओं में प्रकाशित कर रहे हैं

प्रजापित ब्रम्हाकुमार विश्वविद्यालय माउंट आबू के भगवान भाई ने शिक्षक की भूमिका पर



-शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ब\'चों को चरित्रवान बनाना होता है। एक शिक्षक अपने शिष्यों को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है और उसके अवगुणों को गुणों में बदल देता है। शिक्षक एक शिल्पकार की तरह होता है, जिस प्रकार एक शिल्पकार मूर्ति को आकार प्रदान करता है, ठीक उसी प्रकार शिक्षक विद्यार्थी के जीवन को सही दिशा देने का प्रयास करता है। चरित्र निर्माण में एक शिक्षक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यह विचार प्रजापित ब्रम्हाकुमार विश्वविद्यालय माउंट आबू के भगवान भाई ने शिक्षक की भूमिका पर डीडीएम पब्लिक स्कूल में शुक्रवार को आयोजित सेमीनार में व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि यदि एक शिक्षक अनुशासनप्रिय है तभी वह अपने छात्रों को अनुशासनप्रिय बना सकता है। अगर शिक्षक सहनशील है तभी वह विद्यार्थी को सहनशीलता का पाठ पढ़ा सकता है। किसी व्यक्ति का बाहरी व्यक्तित्व यदि बहुत अ\'छा न हो तब भी कोई बड़ी बात नहीं, लेकिन उसका भीतरी व्यक्तित्व सुदृढ होना चाहिए। जैसा कि कहा जाता है कि अगर व्यक्ति के पास से धन गया तो उसका कुछ नहीं गया, लेकिन यदि उसका चरित्र गया तो सबकुछ चला गया। पर आज के समय में चरित्र बल कमजोर पड़ता जा रहा है। धन की लालसा में लोग चरित्र निर्माण पर ध्यान नहीं दे रहे हंै। इन सारी समस्याओं के समाधान के लिए एक शिक्षक का जागरूक होना बहुत आवश्यक है। आज के समय में जो बीमारियां हो रही है उसका बहुत बड़ा कारण मन में घुला हुआ विष है। नैतिक शिक्षा इक्कीसवी सदी में हमारी मूलभूत आवश्यकता बन गई है। नैतिक शिक्षा शिक्षा का आधार होती है। आज के समय में नैतिक शिक्षा का मूल्य कम होता जा रहा है। ब\'चे बाहरी आडंबर के पीछे भाग रहे है। ब\'चे आने वाले समाज का दर्पण होते हैं, यदि वह ही इन मूल्यों से अछूते रहे तो समाज की रीढ़ ही कमजोर हो जाएगी। ब\'चे की नैतिक शिक्षा का प्रारंभ उसके घर से होता है जो उसे अपनी मां से प्राप्त होता है। बीके किशन भाई व बीके शशि दीदी ने शिक्षकों को संबोधित किया। आभार प्रदर्शन श्रीमती