Pages

Friday, December 24, 2010

योग शब्द का अर्थ है 'कनेक्शन'. आत्मा और परमात्मा या आत्मा से परमात्मा का स्मरण के बीच संबंध मानसिक ध्यान या राज योग कहा जाता है

योग शब्द का अर्थ है 'कनेक्शन'. आत्मा और परमात्मा या आत्मा से परमात्मा का स्मरण के बीच संबंध मानसिक ध्यान या राज योग कहा जाता है

Thursday, December 23, 2010

सफलता का अर्थ

सफलता का अर्थ है दृढ़ आत्मविश्वास, ईमानदारी, बाधाओं और अवरोधों से संघर्ष करने की क्षमता, अबाध गति से कार्य करना जैसी अनेक महत्वपूर्ण बातों का संयोजन तथा एकीकरण!

स्मरण रखिये कि सफलता के लिये सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथा आवश्यक वस्तु है दृढ़ आत्मविश्वास! यदि किसी व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी है तो जीवन में उसके सफल होने के अवसर भी कम हैं। हमारे और हमारी सफलता के बीच अनेक बाधाएँ दीवार के रूप में आकर खड़ी हो जाती हैं।

यह सही है कि बहुत से लोग ईमानदारी के साथ अपना कार्य करने के बाद भी सफलता प्राप्त नहीं कर पाते। आखिर क्यों होता है ऐसा? क्योंकि उनके पास आत्मविश्वास की कमी होती है। हार मान लेते हैं वे बाधाओं और अवरोधों से। टूट जाते हैं वे लोग एक दिन।

जो व्यक्ति बाधाओं और अवरोधों से सतत् संघर्ष करते हुये ईमानदारीपूर्वक अपना कार्य आत्मविश्वास बनाये रख कर करते चला जाता है सफलता एक न एक दिन अवश्य ही उसके कदम चूमती है।

सफलता की कुंजी

आत्मविश्वास सफलता की कुंजी है

सफलता एक दुर्घटना नहीं है. यह हमेशा आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत के उद्देश्य मनुष्य का एक परिणाम है एक बंदर से अपनी यात्रा वर्ष की homosappiens को निएंडरथल को लाखों लोगों के लिए वह अब है आदमी के लिए इस दुनिया में किया गया है एक प्रक्रिया है विकास के बीच में इन सभी वर्षों आदमी में कभी नहीं रही है. बुलाया स्थिर, वह था और अब भी सभी क्षेत्रों में प्रगति कर जाने के लिए आगे हमेशा किया गया था वहाँ जो कभी उसे स्थिर होने की इच्छा.. कड़ी मेहनत भी वहाँ था, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह वह था जो उसकी प्रगति में एक प्रमुख भूमिका निभाई विश्वास था. हाँ विश्वास है कि वह क्या करना यह जीवन जब भी हम मानव जाति के इतिहास हम पालन करेंगे कि, यह केवल विश्वास के साथ पुरुषों के लिए जो सफल रहा है था पर दिखेगा के लिए महत्वपूर्ण था सक्षम हो जाएगा गैलिलियो प्रसिद्ध वैज्ञानिक एक पागल व्यक्ति के रूप में माना जाता था. जब वह दौर के रूप में पृथ्वी की खोज की, लेकिन यह अपने ही निष्कर्ष है कि अपना रास्ता बनाया के बारे में अपने विश्वास था. इतिहास बताता है कि जो लोग खुद के बारे में आश्वस्त किया गया है जीवन में कभी नहीं हराया है. हम श्री अमिताभ Bacchhan के बारे में कई कहानियाँ सुना है, महान अभिनेता एक रात में एक सितारा नहीं बन था, वह भी अपने कैरियर के प्रारंभिक चरणों में विफलता के अपने हिस्सा था कई निर्देशकों उसे अस्वीकार कर दिया.. लेकिन वह अपनी प्रतिभा में विश्वास जो उसे ऊंचाइयों महामहिम चढ़ गए थे करने के लिए लिया था. मुझे पता है कि कड़ी मेहनत के लिए किसी में वहाँ होना चाहिए जमीनी लेकिन जब हम कुछ भी हम स्वचालित रूप से इसके लिए कड़ी मेहनत करने के बारे में आश्वस्त हैं. करने के लिए काम करने के लिए एक रास्ता खोजने के आगे उत्सुकता किया इच्छा खुद के भीतर आत्मविश्वास से आता है हम कुछ भी हमारे जीवन की लंबाई के बारे में नहीं कर सकते हैं याद रखें. लेकिन हम इसकी चौड़ाई और गहराई के बारे में कुछ कर सकते हैं. हमने कई बार देखा है कि विश्वास के बिना लोगों को अक्सर जीवन में विफलता है तो. कई छात्रों को उनकी परीक्षा में असफल होते हैं, भले ही वे सब ज्ञान है, वे अपनी क्षमताओं के बारे में आश्वस्त नहीं हैं जो उनकी विफलता में परिणाम है. यहां तक कि वयस्कों जब यह काम अगर वे अपने स्वयं के परियोजना यह प्रस्तुति और ज्ञान की कमी की कमी के परिणाम के बारे में आश्वस्त नहीं हैं आता है के रूप में हमारे लोभी शक्ति भी कम अगर हम बातों में विश्वास नहीं है. हम हमेशा जीवन की ओर एक सकारात्मक दृष्टिकोण होना चाहिए. जो हमारे आत्मविश्वास बढ़ता है याद sunrays जब तक वे ध्यान केंद्रित कर रहे जला नहीं है.. आत्मविश्वास बात है जो हमें में inbuilt है. नहीं है और हम हमारे आत्म में बनाया विश्वास करने के लिए किया है. मुझे पता है कि यह समय लगता है लेकिन यह जब हम बातें कर रही शुरू धीरे - धीरे आता है, अपने स्वयं के काम में स्वतंत्र होना कदम के रूप में अपनी गलतियों की सफलता के लिए और विचार उन्हें सही केवल निष्क्रिय कर जो भी मामला नहीं किया जाएगा कुछ भी नहीं बैठे.. मैं इस के लिए होगा अपने अनुभव के कुछ हिस्से प्यार मैं. पांचवें मानक सेट मैं अंग्रेजी भाषण में भाग लिया था. हालांकि अपने भाषण उस समय अच्छा था, मैं सब विश्वास पर है कि मैं जीत जाएगा बल्कि मुझे यकीन है कि thatI खो देंगे नहीं था. मैं अभ्यास मेरी ठीक से भाषण, लेकिन मैं बहुत अंतिम दिन अपने भाषण पिछले एक था पर डर गया था.. हर एक अपने भाषण दिया था और फिर यह मेरी बारी थी मैं बहुत नर्वस और भी आत्मविश्वास से भरे हुए बाहर है कि मैं सिर्फ एक शब्द कहे बिना पाँच मिनट के लिए मंच पर खड़ा था. जाहिर है मैं खो गया था., लेकिन तब मैं इस तरह से यह समझ में आ जाएगा काम अगले साल नहीं मैं फिर अंग्रेजी सेट भाषण में भाग लिया और इरादा है कि मैं अपने भाषण दिया जीत जाएगा और मैंने सोचा कि मैं जीत के रूप में साथ आत्मविश्वास से भरा के साथ.. विषय था, ''साइकिल चालन के साथ मेरा पहला अनुभव'', अब भी मुझे याद है कि. मैं उन घटनाओं से पता चला है कि मन विश्वास की सही मात्रा में उचित इच्छा रखने और इस तरह हमेशा सफलता का नेतृत्व. के रूप में प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक विलियम जेम्स ने कहा है कि बहादुर अधिनियम, ''लगता है जैसे तुम बहादुर और सफलता तुम्हारा हो जाएगा रहे हैं.

गलतियां ही सफलता की सीढ़

कल मैंने व्यक्तित्व विकास के बारे में कुछ बातों का जिक्र किया था। आज की कड़ी में इस बारे में बाकी बातें आपके सामने हाजिर है। इन नुस्खों का आजमा कर आप अपने व्यक्तित्व में चमत्कारिक परिवर्तन ला सकते हैं।

गलती करने से कभी भी घबराएं नहीं। आप लगातार काम करके सफल हो सकते हैं असफल नहीं। यदि इतिहास को देखें तो कई महत्वपूर्ण विचार गलतियों की वजह से ही समाज को मिल सके। कभी भी असफल होने की भावना से खुद को वो काम करने से मत रोकिए जिसे करना चाहिए।

कभी भी निर्णय को इस वजह से मत टालिए कि वह गलत हो सकता है। कभी भी बैठकर कुछ नहीं पाया जा सकता। ऐसे में जितनी जल्दी आप निर्णय लेंगे चाहे वह गलत ही क्यों न हो, उतनी जल्दी सही निर्णय लेने की क्षमता मिलेगी।

एक ऐसी डायरी बनाए जिसमें आपके विचार, भावनाएं और व्यक्तिगत विकास के बारे में लिखा हो। इसकी सहायता से आप अपनी प्रगति का मूल्यांकन कर सकते हैं। एक बार पीछे मुड़कर अपनी अब तक की यात्रा को परख सकते हैं। यह आपके लिए एक अच्छा स्त्रोत हो सकता है जिसकी मदद से भविष्य के प्लान तैयार किए जा सके। यदि कभी आपकी इच्छा किताब लिखने की हो तो भी इससे मदद मिल सकती है।

यदि कार्य ठीक नहीं हो पा रहे हैं तो खुद को बदलने के लिए हमेशा तैयार रखें। कई बार आप खुद को कुछ करने के लिए मानसिक रूप से तैयार कर लेते हैं मगर उस हिसाब से योजना पूरी नहीं हो पाती। यदि आपको अपना लक्ष्य स्पष्ट है तो उसे पाने का रास्ता बदलने के लिए भी तैयार रहिए। यह रास्ता लंबा हो सकता है मगर आपको मंजिल तक जरुर पहुंचा सकता है।

अपने लक्ष्यों को रोजाना जानने की कोशिश करें। ज्यादा अच्छा होगा कि आप अपने लक्ष्यों से संबंधित चित्र अपने बिस्तर के आसपास लगा लें जिससे जब कभी बिस्तर से उठे या बिस्तर पर जाएं तो उसकी तस्वीर ध्यान रहे। शब्दों से ज्यादा तस्वीर का असर होता है। ऐसे में यह उपाय आपको काफी फायदा दे सकता है।

अपने हाथ में एक इलास्टिक का बैंड बांध लीजिए। जब कभी आपके दिमाग में नकारात्मक विचार आएं तो आप इस बैंड को खींचकर छोड़िए। यह थोड़ा दु:खदायी जरूर है मगर 30 दिन तक ऐसा करके देखिए। परिणाम सकारात्मक होगा।

10) हमेशा अपनी उपलब्धियों पर खुश होइए। खुद को पुरस्कृत करिए क्योंकि इसके लिए आप योग्य हैं। ऐसा करके आप अपने को प्रोत्साहित करते हैं। इससे सफलता पाने की लालसा और बढ़ जाती है।

(सोनिया व्यक्तित्व विकास से जुड़ी कंसलटेंट हैं। सार्वजनिक क्षेत्र में वह व्यक्तित्व विकास से 20 वर्षो से जुड़ी हुई हैं

विवेक, सहनशीलता, सद्विचार, संवेदनशीलता, अनुशासन, संतोष संयम के आधार स्तंभ हैं।

जब मन इन्द्रियों के वशीभूत होता है, तब संयम की लक्ष्मणलाँघे जाने का खतरा बन जाता है, भावनाएँ बेकाबू हो जाती हैं, असंयम से मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है, इंसान असंवेदनशील हो जाता है, मर्यादाएँ भंग हो जाती हैं। इन सबके लिए मनुष्य की भोगी वृत्ति जिम्मेदार है।

भौतिक सुख-सुविधाएँ, जबर महत्वाकांक्षाएँ, तेजी से सब कुछ पाने की चाहत मन को असंयमित कर देती है जिसके कारण मन में तनाव, अवसाद, संवेदनहीनता, दानवी प्रवृत्ति उपजती है फलस्वरूप हिंसा, भ्रष्टाचार, अत्याचार, उत्पीड़न, घूसखोरी, नशे की लत जैसे परिणाम सामने आते हैं। काम, क्रोध, लोभ, ईर्ष्या असंयम के जनक हैं व संयम के परम शत्रु हैं। इसी तरह नकारात्मक प्रतिस्पर्धा आग में घी का काम करती है।

असल में सारे गुणों की डोर संयम से बँधी होती है। जब यह डोर टूटती है तो सारे गुण पतंग की भाँति हिचकोले खाते हुए व्यक्तित्व से गुम होते प्रतीत होते हैं। चंद लम्हों के लिए असंयमित मन कभी भी ऐसे दुष्कर्म को अंजाम देता है कि पूर्व में किए सारे सद्कर्म उसकी बलि चढ़ जाते हैं। असंयम अनैतिकता का पाठ पढ़ाता है। अपराध की ओर बढ़ते कदम असंयम का नतीजा हैं। इन्द्रियों को वश में रखना, भावनाओं पर काबू पाना संयम को परिभाषित करता है। इंसान को इंसान बनाए रखने में यह मुख्य भूमिका अदा करता है।

विवेक, सहनशीलता, सद्विचार, संवेदनशीलता, अनुशासन, संतोष संयम के आधार स्तंभ हैं। धैर्य और संयम सफलता की पहली सीढ़ी हैं। अच्छे संस्कार, शिक्षा, सत्संग आदि से विवेक को बल मिलता है। मेहनत, सेवाभाव, सादगी से सहनशीलता बढ़ती है। चिंतन, मंथन आदि से विचारों का शुद्धिकरण होता है। प्रभु की प्रार्थना, भक्ति से मनुष्य संवेदनशील हो जाता है। दृढ़ निश्चय से जिंदगी अनुशासित होती है।

अध्यात्म वह यज्ञ है जिसमें सारे दुर्गणों की आहुति दी जा सकती है एवं गुणों को सोने-सा निखारा जा सकता है। आधुनिक दौर में भोग से योग की ओर लौटना मुश्किल है, लेकिन दोनों में संतुलन बनाए रखना नितांत आवश्यक है। आज जीवनशैली व दिनचर्या में बदलाव की दरकार है। मनुष्य में देव और दानव दोनों बसते हैं अतः हम भले ही देव न बन पाएँ, लेकिन दानव बनने से हमें बचना चाहिए।

प्रबल इच्छा

प्रबल इच्छा क्या है ? प्रबल इच्छा का तात्पर्य उस दृढ़ निश्चय से है जो हमें किसी लक्ष्यप्राप्ति के लिए करता होता है। यह लक्ष्य शक्ति, ओहदा, धन या ऐसी ही अन्य कोई वस्तु हो सकती है। कुछ बड़ा पाने या करने के लिये महत्त्वाकांक्षा अनिवार्य है। जीवन में कुछ बड़ा करने का दृढ़ निश्चय। एक स्कूली छात्र ने साॅफ्टवेयर की कम्पनी शुरू की – माइक्रो साॅफ्ट। इसी बीच इस छात्र ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। जब वह अपने स्नातक पाठ्यक्रम के द्वितीय वर्ष में था, कम्पनी ने बहुत बड़ा लाभ कमाना शुरू किया । उसकी प्रबल इच्छा थी कि वह अरबपति बने। उसने अपनी पढ़ाई छोड़ दी क्योंकि कम्पनी का काम बढ़ गया था। उसने अपने लक्ष्य को पहचाना और अपने जीवन के महत्त्वाकांक्षी कार्य को बीस वर्ष में पूरा कर लिया। उसकी प्रतिदिन आय वर्ष 1998 में आठ सौ करोड़ थी। आज वह इस धरती का सबसे धनी व्यक्ति है। कौन है वह महान् व्यक्ति ? —- वह बिलगेट्स है।
क्या प्रबल इच्छा, उत्साह एवं साहस के अभाव में तेनसिंह और हिलेरी एवरेस्ट पर्वत की चोटी पर चढ़ने में सफल हो पाते?

"जीओ और जीने दो..."ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने मानव अधिकार दिवस निमित्त

"जीओ और जीने दो..."

डूंगरपुर । मानवाधिकार दिवस मनाने के पीछे प्रमुख ध्येय यह है कि हमें किस तरह से जीवन यापन करना चाहिए और कैसा हमारा व्यवहार होना चाहिए। मनुष्य को जीओ और जीने दो की तर्ज पर जीवन व्यतीत करना ही मानवाधिकार दिवस सीखाता है।
ये प्रवचन जिला कारागृह में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू से आए ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने मानव अधिकार दिवस निमित्त आयोजित कार्यक्रम में दिए। उन्होंने कहा कि हमारे लिए स्थूल और सूक्ष्म दो प्रकार के नियम है। जब उनका उल्लंघन करते हैं, तब व्यवस्थाओं में गड़बड़ी हो जाती है। परमात्मा ने सबके लिए कानून एवं नियम बनाए हैं। कुछ वर्षो पूर्व तक मनुष्य अपने अधिकारों और मर्यादाओं को भली-भांति जान उनका पालन करता था।

कलियुग के प्रभाव के चलते वह सब कुछ भूलता जा रहा है। मनुष्य को अपने अधिकार और मर्यादाओं का ज्ञान सत्संग से ही आ सकता है। उन्होंने जीवन में संयम को अपनाने की प्रतिज्ञा भी दिलवाई। इस दौरान अधीक्षक घीसाराम चौधरी, रूपलाल भाई, राजयोग केन्द्र की बी.के. विजय बहन शामिल हुए।

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के ब्रह्माकुमार भगवानभाई

'नैतिक मूल्यों से विकास''नैतिक मूल्यों से विकास'
Saturday, 11 Dec 2010 1:28:11 hrs IST

डूंगरपुर । आदर्श समाज में नैतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक मूल्य प्रचलित हैं। इससे बेहतर जीवन जीने के लिए मार्गदर्शन मिलता है। नैतिक मूल्यों की धारणा से ही मानव मन की आंतरिक शक्तियों का विकास होता है।ये प्रवचन प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के ब्रह्माकुमार भगवानभाई ने शुक्रवार को राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालय टाउन में दिए। उन्होंने कहा कि व्यक्ति अगर चरित्र का उत्थान करना चाहता है, तो उसे आंतरिक शक्तियों द्वारा आत्मबल बढाना होगा। आत्मबल में बढोत्तरी नैतिकता के बिना नहीं आ सकती है। उन्होंने कहा कि सहनशीलता, नम्रता, धैर्यता, शीतलता, शांति, भाईचारा, स्नेह आदि सद्गुणों से व्यक्तित्व का विकास होता है। सद्गुणों से ही चरित्र उत्थान होता है।

उन्होंने अशांति, चोरी करना, लडाई-झगडा, व्यसन, नशा आदि अवगुणों से दूर रहना चाहिए। इस मौके पर बी.के. हेमा बहन, अतिरिक्त जिला शिक्षा अघिकारी योगेशचन्द्र रोत, प्रधानाचार्य गिरिजा वैष्णव ने भी विचार व्यक्त किए

योगीराज बह्माकुमार भगवानभाई ने आध्यात्मिक

ब्रह्माकुमारी संस्थान में सोमवार को माउंट आबू से पधारे योगीराज बह्माकुमार भगवानभाई   ने आध्यात्मिक शिविर को संबोधित करते हुए कहा कि संसार के सभी क्षेत्रों मसलन शिक्षा, व्यापार, राजनीति, धर्म और विज्ञान को अध्यात्म के रंग में रंगना होगा। तभी समाज एक सही दिशा में गतिशील होगा। अध्यात्म समाज में नैतिक उत्तरदायित्व निभाने के लिए प्रेरित ही नहीं करता, सदाचारी जीवन जीने के लिए उकसाता है।
उन्होंने ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय को एक आध्यात्मिक ऊर्जा घर बताते हुए कहा कि ईश्वरीय राजयोग से अष्ट शक्तियों की प्राप्ति होती है। जीवन में निर्विघ्न सफलता के लिए राजयोग को देखने और समझने की जरूरत है। समय की महत्ता बताते हुए कहा, कलयुग का अंत और सतयुग आदि के बीच इस संगम युग में आध्यात्मिक ज्ञान की दिव्य शक्ति से विश्व परिवर्तन का पुनीत कार्य हो रहा है। समय के महत्व को समझें।
माउंट आबू से  ब्रह्माकुमार भगवानभाई ने कहा कि यदि भगवान को पाकर भी छोटी-छोटी, अल्पकालीन कामनाओं का गुलाम रहें तो भला आदमी कैसे आनंदित होगा? इसलिए हमें इच्छाओं की अधीनता छोड़कर अधिकारीपन की स्थिति पैदा करनी चाहिए। इच्छाओं को हमें अपने अधीन होना चाहिए।
संचालिका बहन निर्मला ने कहा कि शरीर निर्वाह में तो मुनष्य पूरा ही दिन-रात लगा देता है, परंतु अपने समय का थोड़ा भी हिस्सा यदि मनुष्य आत्म निर्वाह में लगाए तो उसे मनुष्य जीवन का सच्चा सुख प्राप्त हो सकता है। मौके पर दर्जनों धर्मप्रेमी उपस्थित थे।