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Saturday, July 6, 2013

ईर्ष्‍या

आज का चिंतन - ईर्ष्‍या

आज का विचार... हम अनजाने मे ही अपना बुरा करते जाते हैं, और दूसरे का बुरा करना चाहते हैं, जिसे सीधे शब्दो मे हम जलन कहते हैं। दूसरो कॊ हर बात से जलाना,  ईर्ष्‍या करना,  इस से अन्य व्यक्ति का कोई नुक्सान तो नही होता बल्कि हम अपना ही नुकसान करते जाते हैं...।तो आयें विचार करे इस बात पर और बचे इस नुकसान से..... तो यह पढे आज का विचार

दो भाईयो की दुकान एक ही बाजार मे थी और थी भी बिलकुल आमने सामने। दोनो भाई बेचते भी एक ही तरह का समान थे। दोनो की दुकाने भी भगवान की दया से चलती भी खूब थी। पैसे की कमी भी दोनो को नही थी।  लेकिन इस के वावजूद दोनो भाईयो की सेहत दिन पर दिन गिरती जाती थी। बहुत दवा दारु किया। झाड पूंछ भी करवाया। पूजा पाठ यानि सब कुछ करवाया लेकिन दोनो भाईयो की सेहत मे कोई भी फ़र्क नही आया।  थक हार कर अब दोनो भाई जादू टोने वालो के पास भी गये लेकिन बात फ़िर भी ना बनी। और दोनो भाई यह सोच कर बैठ गये कि कोई लाइलाज बीमारी लग गई है। .समय बीतता रहा, एक दिन एक रिश्तेदार जब उनसे मिलने आया तो दोनो भाईयो को देख कर हैरान हुआ।  फ़िर दो चार दिन उन के साथ रहा और जाने से पहले बोला मेरे पास एक ईलाज है आप दोनो की बीमारी का।  लेकिन थोड़ा कठिन है। दोनो भाई सुन कर खुश हुऐ और बोले बताओ हम सब कुछ करने को तैयार है। तो उस रिश्तेदार ने कहा ईलाज शुरु करने से पहले आप दोनो को अपना स्थान बदलना पडेगा। दोनो भाई कुछ समझ नही सके तो  रिशतेदार बोला तुम दोनो भाई एक महीने तक अपनी दुकान मे मत जाना, बल्कि एक महीना दूसरे की दुकान ईमानदारी से संभालाना। उस के बाद तुम्हारा ईलाज शुरू करुंगा। दूसरे दिन से ही भाई एक दूसरे की दुकान सम्भालने लगे।

एक महीने के बाद जब वह रिश्तेदार इन से मिलने आया तो दोनो भाई काफ़ी स्वस्थ दिख रहे थे  और काफ़ी खुश भी थे।  तब रिश्तेदार ने कहा कि आप दोनो को कोई भी बीमारी नही है बस तुम दोनो मे ईर्ष्‍या थी। जब तुम अपनी अपनी दुकान पर बैठे दूसरे की दुकान मे ग्राहक को जाते देखते थे तो जलते थे और यह बात मैने दो दिन तुम्हारे साथ रह कर देखी थी ओर उसी ईर्ष्‍या से तुम अपना ही नुकसान करते रहे थे।  अब तुम दूसरे की दुकान पर बैठकर अपनी दुकान मे जाते ग्राहक देख कर खुश होते हो। यही तुम्हारे स्वस्थ होने का राज़ है।

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