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Thursday, July 4, 2013

आदर्श शिक्षक ही आदर्श समाज निर्मित कर सकता है



आदर्श शिक्षक ही आदर्श समाज निर्मित कर सकता है
भास्कर संवाददाता & आलीराजपुर

समाज को सुधारने के लिए आदर्श शिक्षकों की आवश्यकता है क्योंकि वे ही समाज शिल्पी हैं। शिक्षक वही है जो अपने जीवन की धारणा से दूसरों को शिक्षा देता है। धारणा से विद्यार्थियों में बल भरता है, आदर्श शिक्षक ही आदर्श समाज निर्मित कर सकता है।

यह बात प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू के राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवानभाई ने जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्था में शिक्षक-प्रशिक्षणार्थियों को आदर्श शिक्षक विषय पर बोलते हुए कही। उन्होंने कहा आज की बिगड़ती परिस्थिति को देखते हुए समाज को सुधारने की बहुत आवश्यकता है। वर्तमान के छात्र भावी समाज है। अगर भावी समाज को आदर्श बनाना चाहते हो तो छात्राओं को भौतिक शिक्षा के साथ उनके नैतिक आचरण पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।

जीवन की धारणाओं से वाणी, कर्म, व्यवहार और व्यक्तित्व में निखार जाता है। उन्होंने कहा शिक्षा देने के बाद भी अगर बच्चे बिगड़ रहे हैं तो इसका मतलब मूर्तिकार में भी कुछ कमी है। शिक्षक के अंदर के जो संस्कार हैं, उनका विद्यार्थी अनुकरण करते हैं। शिक्षकों को केवल पाठ पढ़ाने वाला शिक्षक नहीं बल्कि सारे समाज को श्रेष्ठ मार्गदर्शन देने वाला शिक्षक बनना है। शिक्षक होने के नाते हमारे अंदर सद्गुण होना आवश्यक है। उन्होंने कहा किताबी ज्ञान के साथ-साथ बच्चों को अपने जीवन की धारणाओं के आधार से नैतिक पाठ भी अवश्य पढ़ाएं।

सेवाभाव की आचरण की शिक्षा जुबान से

ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवा केंद्र की संचालिका बीके माधुरी बहन ने कहा एक दीपक से पूरा कमरा प्रकाशित होता है तो क्या पूरे जिले को मूलनिष्ठ शिक्षा से प्रकाशित हम सब मिलकर नहीं कर सकतें। अब आश्यकता है सेवाभाव की। आचरण की भी तेज होती है। व्याख्याता कैलाशचंद्र सिसौदिया ने शिक्षा जुबान से
राजयोग साधना योग शिविर आज जोबट & ब्रह्माकुमारी राजयोग, साधना योग सेवा केंद्र द्वारा शनिवार को अगाल धर्मशाला उपजेल जोबट में राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई मूल्यनिष्ठ समाज की स्थापना परमात्मा ज्ञान संदेश देंगे। सायं से बजे तक शिविर चलेगा। जानकारी देते हुए टिकम राठौड़ मांगीलाल राठौड़ ने बताया शिविर में पूर्व विधायक माधोसिंह डावर, ललीत श्रीवास्तव, पं. नटवर श्याम शर्मा अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे।

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