चरिकोट
(नेपाल )-नेपाल सुरक्षा फ़ोर्स (मिलट्री) श्री रण भीम गण के जवानो को तनाव मुक्ति हेतु सकारात्मक
विचार विषय पर सेमिनार
आयोजक
–स्थानीय ब्रह्माकुमारी
सेवाकेंद्र चरिकोट (नेपाल )
मुख्य
वक्ता ---ब्रह्माकुमार भगवान् भाई माउंट आबू
विषय
–- तनाव मुक्ति हेतु
सकारात्मक विचार
प्रमुख
अतिथि ---
मेजर
---श्री अमर राज कट्टेल
कॅप्टन
---रसीव कार्की
कॅप्टन
---दिपेस पुडासैनी
बी
के सरीता बहन धार्की नेपाल सेवाकेंद्र प्रभारी
चरिकोट
नेपाल स्थानीय सेवाकेंद्र प्रभारी बी के सफला बहन जी
बी
के रामकृष्ण भाई काठमांडू
बी
के गणेश भाई
बी
के जीवन भाई ने मंच संचालन किया
कार्यक्रम
के अंत में मेडिटेशन भी कराया
माउंट
आबू से आये हुए बी के भगवान भाई ने कहा कि फौजी यानी अनुशासन, फौजी यानी लक्ष्य का पक्का, फौजी यानी अपने परिजनों से दूर रहकर दिन रात
अपने कर्तव्यों का पालन करने वाला जिसके लिए चाहे परिस्थितियां कितनी भी विषम हो
मगर मानसिक संतुलन बनाये रखना अनीवार्य है ऐसे में तनाव आना लाज़मी है उसपर तुरंत
निजात पाने का एकमात्र साधन है राजयोग तनाव मक्त हेतु सकारात्मक विचार विषय पर सभी
जवानो को बोल रहे थे
इस
अवसर पर बी के भगवान् भाई ने कहा कि हम जवान
होने के नाते दुसरो को अनुशासन सिखाते है तो पहले हमे अनुशासन में रहना
होगा तनाव का बहूत बड़ा कारन हमारे गलत
कर्म इसलिए अपने कर्मो पर ध्यन दे जवान
होने के नाते हमारे में देश प्रेम हो सत्यता इमानदारी हो कोइ व्यसन नशा न हो माहत्मा गाँधी के पास सत्यता
ईमानदारी यह शस्त्र थे जिस बल पर इग्रेजो को भगाया एसे हमे भी स्थूल शस्त्र के साथ
गुण रूपी हथियार भी जरूरी है फिजिकली के साथ हमारी मेंटल हेल्थ भी आच्ची हो तब हम
देश कि सेवा कर सकेगे उन्होंने कहा कि सकारात्मक सोच द्वारा विपरित परिस्थिति में
हलचल से बाख सकते है निराशा में भी आशा की किरण
दिखने लगती है। अपनी समस्या को समाप्त करने एवं सफल जीवन जीने के लिए
विचारों को सकारात्मक बनाने की बहुत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि समस्याओं का
कारण ढूढने की बजाए निवारण ढंूढ़े।उन्होंने कहा कि समस्या का चिंतन करने से तनाव की
उत्पत्ति होती है। उन्होंने कहा कि किस प्रकार हम सकारात्मक सोच के तहत सकारात्मक
ऊर्जा जन-जन को दे सकते हैं। जिससे एक खुशनुमा वातावरण तो बनता ही है साथ ही हम
अपने सदाचरण, व्यवहार व सकारात्मक सोच से कलियुग को अलविदा
कर सतयुग में प्रवेश कर सकते हैं।उन्होंने कहा कि यदि हमें तनावमुक्त रहना है तो
विकारमुक्त बनना होगा। साथ ही हम ऐसा व्यवहार करें और ऐसी सोच विकसित करें,
जो
दूसरे को खुशी दे सके दुआऐं दे सके। र्कइं बार दूसरे के व्यवहार से हम विचलित हो
उठते हैं यानी दूसरे के कारण हमारी शांति भंग हो जाती है और हम तनाव में आ जाते
हैं। जबकि जो बुरा है जो हमारे शरीर व आत्मा के लिए हानिकारक है उसे हम ग्रहण ही न
करें।
बी
के सफला बहन जी ने कहा कि सकारात्मक या
नकारात्मक तनाव का कारण करने के लिए तनाव की हद तक जो करने के लिए एक व्यक्ति
मानते हैं इस चाले है । यदि एक व्यक्ति मानता है,
एक
तनावपूर्ण स्थिति के रूप में अभी तक एक और मूल्यवान जीवन के अनुभव को सिखा सकते
हैं कि कुछ नया है, तो तनाव ही प्रकट होगा के रूप में थोड़ा उत्साह
है ।
मेजर ---श्री अमर राज कट्टेल जी ने भी अपना
उद्बोधन देते हुए कहा की वर्तमान समय
माहौल तनावपूर्ण होता है तो हमे तनाव से बचने का उपाय करना चाईए आध्यत्मिक चिंतन
से हम तनाव से मुक्त बन अपना कर्तव्य भी निर्भयता से क्र सकते है उन्होंने खा
ब्रह्माकुमारी द्वारा जो मेडिटेशन सिखाया जाता है वह तनाव मुक्ति का सहज उपाय है
कार्यकर्म
अंत में मेडिटेशन भी कराया
No comments:
Post a Comment