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Saturday, February 3, 2018

खड़गपुर (पश्चिम बंगाल) ----में तेलगु विद्यापीठम हाईस्कूल में नैतिक शिक्षा का महत्व पर कार्यक्रम

खड़गपुर   (पश्चिम बंगाल)  ----में तेलगु  विद्यापीठम हाईस्कूल में नैतिक शिक्षा का  महत्व पर कार्यक्रम 
आयोजक –ब्रह्माकुमारीज खड़गपुर   (पश्चिम बंगाल) 
मुख्य वक्ता --बी के भगवान् भाई माउंट आबू 
विषय – जीवन में नैतिक शिक्षा का  महत्व   
प्रिंसिपल --के एस मूर्ति 
सहायक शिक्षक ---धरम राव  
बी के अल्पना बहन प्रभारी तमलुक  (पश्चिम बंगाल)
बी के मानसी बहन  राजयोगी खड़गपुर  (पश्चिम बंगाल)
बी के दिलीप भाई और सभी शिक्षक स्टाफ भी उपस्थित थे  
कार्यक्रम के अंत में मेडिटेशन कराया     
 राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने कहा कि नैतिक शिक्षा ही मानव को ‘मानव’ बनाती है क्योंकि नैतिक गुणों के बल पर ही मनुष्य वंदनीय बनता है। सारी दुनिया में नैतिकता अर्थात सच्चरित्रता के बल पर ही धन-दौलत, सुख और वैभव की नींव खड़ी है। भगवान् भाई ने खा की भारत की नैतिकता इतनी ऊँची थी कि सारा संसार अपने चरित्र के अनुसार शिक्षा प्राप्त करे।ऐसी घोषणा यहाँ की जाती थी। नैतिकता के अंग हैं – सच बोलना, चोरी न करना, अहिंसा, दूसरों के प्रति उदारता, शिष्टता, विनम्रता, सुशीलता आदि। परन्तु आज ये शिक्षा ना तो बालक के माता-पिता, जिन्हें बालक की प्रथम पाठशाला कहा जाता है, ना ही विद्यालय दे पा रहा है। नैतिक शिक्षा के अभाव के कारण ही आज जगत में अनुशासनहीनता का बोल-बाला है। आज का छात्र कहाँ जानता है, बड़ों का आदर-सत्कार, छोटों से शिष्ठता-प्यार, स्त्री जाति की सुरक्षा-सम्मान सत्कार। रही-सही कसर पूरी कर देता है हमारा फिल्मजगत और टेलिविजन प्रसारण। जो अश्लीलता की हर हदें पार कर चुका है और उसका मूल्य चुकाना पड़ता है समाज को, क्योंकि मनुष्य का स्वभाव है अनुकरण करना। वह अनुकरण से ही सीखता है।बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है। नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास संभव है।उन्होंने  कहा कि शैक्षिक जगत में विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। नैतिक मूल्यों की कमी व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यावहारिक ज्ञान एवं अन्य की तरफ प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश तथा असत्य से सत्य व बंधनों से मुक्ति की ओर ले जाएं सच्ची शिक्षा है। समाज अमूर्त है और प्रेम, सदभावना, भाईचारा,नैतिकता एवं मानवीय मूल्यों से ही संचालित होता है। एक प्रगतिशील एवं श्रेष्ठ समाज इन्हीं मूल्यों से परिभाषित होता है। शैक्षिक जगत से ही समाज के आधारभूत ढांचे का निर्माण होता है। राजयोगी ने कहा कि शिक्षा ऐसा बीज है जिससे जीवन फलदार वृक्ष बन जाता है। जब तक व्यवहारिक जीवन में सेवाभाव, परोपकार, धैर्य, त्याग, उदारता, नम्रता, सहनशीलता, सत्यता, पवित्रता आदि सदगुणी फल नही आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है। व्यक्तिगत अच्छा व बुरा व्यक्ति अपने अंदर के गुणों से बनता है। गुणवान, चरित्रवान व्यक्ति सभी को प्रिय होता है।      बी के अल्पना बहन प्रभारी तमलुक  (पश्चिम बंगाल) ने कहा कि कुसंग, सिनेमा, व्यसन, फैशन से युवा भटकता है। चरित्र व गुणवान बच्चे देश व समाज की संपत्ति है। कार्यक्रम को प्रिंसिपल  -- -के एस मूर्ति    ने कहा  की यह ज्ञान कोई धर्म जाती नहीं बल्कि मानवता सिखाता है , महेश भाई ने भी  ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर
बी के मानसी बहन  राजयोगी खड़गपुर  (पश्चिम बंगाल)
बी के दिलीप भाई और सभी शिक्षक स्टाफ भी उपस्थित थे 

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