हल्दिया (पश्चिम बंगाल) ----में महाशिवरात्रि निमित शिव ध्वज फेरया , संगीत संध्या कार्यक्रम रखा और शिवरात्रि का रहस्य बताया
आयोजक –ब्रह्माकुमारीज हल्दिया (पश्चिम बंगाल)
मुख्य वक्ता --बी के भगवान् भाई माउंट आबू
विषय – महाशिवरात्रि निमित शिवरात्रि का रहस्य
बी के अल्पना बहन प्रभारी तमलुक (पश्चिम बंगाल)
बी के गौरी बहनराजयोग शिक्षिका तमलुक (पश्चिम बंगाल)
बी के दुर्गा बहन प्रभारी चैतन्यपुर (पश्चिम बंगाल)
हल्दिया उत्सव संगीत ग्रुप के गायक कलाकार
श्रीमती मंजुला मुखर्जी और ग्रुप
मोमबत्ती जलाई सभी ने बुराई से ,विकारो से नशा से परचिंतन से मुक्त रहने की प्रतिज्ञा भी किया
शिवरात्रि परमात्मा का अवतरण दिवस हैं--- ब्रह्माकुमार भगवान् भाई
माउंट आबू से आये हुए ब्रह्माकुमार भगवान् भाई ने कहा कि शिवरात्रि का उत्सव स्वयं परमपिता परमात्मा के सृष्टि पर अवतरित होने की याद दिलाता है। शिवरात्रि पर सच्चा उपवास यही है कि हम परमात्मा शिव से बुद्धि योग लगाकर उनके समीप रहें। उपवास का अर्थ भी होता है समीप रहना। उन्होंने कहा कि शिवरात्रि के पर्व पर जागरण सच्चा अर्थ है कि विकारों से से स्वयं को बचाया जाए।
ब्रह्माकुमार भगवान् भाई ने शिवरात्रि के आध्यात्मिक रहस्य को उजागर करते हुए कहा कि शिव त्रिकालदर्शी अखंड ज्योति स्वरुप है। सर्व आत्माओं के पिता शिव हैं। शिव का शाब्दिक अर्थ कल्याणकर्ता है। शिव भोलेनाथ भक्तों के ऊपर शीघ्र प्रसन्न हो जाने तथा उनका कल्याण करने वाले हैं। वे पतित पावन अर्थात् पतित हुई मनुष्यात्माओं को पावन बनाने वाले तथा सबके सद्गतिदाता है।
उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक अर्थ में रात्रि आत्माओं के अज्ञान-अंधकार, विकारों अथवा आसुरी लक्षणों का प्रतीक है। इसी समय परमात्मा प्रकट होकर ज्ञान का प्रकाश आत्माओं को देकर उन्हें विकारों से मुक्त करवाते हैं। सुखों के भंडारों से भरपूर करते हैं। उन्होंने कहा कि परमात्मा ही ज्ञान सागर है जो मानव मात्र को सत्य ज्ञान द्वारा अन्धकार से प्रकाश की ओर अथवा असत्य से सत्य की ओर ले जाते हैं।
ब्रह्माकुमार भगवान् भाई ने कहा कि शिवरात्रि परमात्मा के अवतरण का पर्व है। शिवरात्रि पर ही परमात्मा इस धरा पर अवतरित हुए थे। इसी उपलक्ष्य में हम महाशिवरात्रि मनाते हैं। भगवान शिव अज्ञान एवं अंधकार मिटाने के लिए ही इस धरा पर अवतरित हुए थे। उन्होंने भगवान शिव की प्रतिमा पर बेल, धतूरा, बेल पत्र, गन्ना आदि चढ़ाए जाने का आध्यात्मिक रहस्य बताया। अल्पना बहन ने कहा कि भगवान शिव ने समुद्र मंथन के समय निकला हुआ विष स्वयं धारण किया था। यदि वह विष पृथ्वी पर डाल दिया जाता तो प्रलय हो सकती थी। भगवान शिव द्वारा विष कंठ में धारण कर लिया गय जिससे वह नीलकंठ कहलाए। बेल, धतूरा, बेलपत्र आदि विष को कम करते हैं। यही कारण है कि भगवान शिव को बेल पत्र, धतूरा आदि चढ़ाया जाता है।
आयोजक –ब्रह्माकुमारीज हल्दिया (पश्चिम बंगाल)
मुख्य वक्ता --बी के भगवान् भाई माउंट आबू
विषय – महाशिवरात्रि निमित शिवरात्रि का रहस्य
बी के अल्पना बहन प्रभारी तमलुक (पश्चिम बंगाल)
बी के गौरी बहनराजयोग शिक्षिका तमलुक (पश्चिम बंगाल)
बी के दुर्गा बहन प्रभारी चैतन्यपुर (पश्चिम बंगाल)
हल्दिया उत्सव संगीत ग्रुप के गायक कलाकार
श्रीमती मंजुला मुखर्जी और ग्रुप
मोमबत्ती जलाई सभी ने बुराई से ,विकारो से नशा से परचिंतन से मुक्त रहने की प्रतिज्ञा भी किया
शिवरात्रि परमात्मा का अवतरण दिवस हैं--- ब्रह्माकुमार भगवान् भाई
माउंट आबू से आये हुए ब्रह्माकुमार भगवान् भाई ने कहा कि शिवरात्रि का उत्सव स्वयं परमपिता परमात्मा के सृष्टि पर अवतरित होने की याद दिलाता है। शिवरात्रि पर सच्चा उपवास यही है कि हम परमात्मा शिव से बुद्धि योग लगाकर उनके समीप रहें। उपवास का अर्थ भी होता है समीप रहना। उन्होंने कहा कि शिवरात्रि के पर्व पर जागरण सच्चा अर्थ है कि विकारों से से स्वयं को बचाया जाए।
ब्रह्माकुमार भगवान् भाई ने शिवरात्रि के आध्यात्मिक रहस्य को उजागर करते हुए कहा कि शिव त्रिकालदर्शी अखंड ज्योति स्वरुप है। सर्व आत्माओं के पिता शिव हैं। शिव का शाब्दिक अर्थ कल्याणकर्ता है। शिव भोलेनाथ भक्तों के ऊपर शीघ्र प्रसन्न हो जाने तथा उनका कल्याण करने वाले हैं। वे पतित पावन अर्थात् पतित हुई मनुष्यात्माओं को पावन बनाने वाले तथा सबके सद्गतिदाता है।
उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक अर्थ में रात्रि आत्माओं के अज्ञान-अंधकार, विकारों अथवा आसुरी लक्षणों का प्रतीक है। इसी समय परमात्मा प्रकट होकर ज्ञान का प्रकाश आत्माओं को देकर उन्हें विकारों से मुक्त करवाते हैं। सुखों के भंडारों से भरपूर करते हैं। उन्होंने कहा कि परमात्मा ही ज्ञान सागर है जो मानव मात्र को सत्य ज्ञान द्वारा अन्धकार से प्रकाश की ओर अथवा असत्य से सत्य की ओर ले जाते हैं।
ब्रह्माकुमार भगवान् भाई ने कहा कि शिवरात्रि परमात्मा के अवतरण का पर्व है। शिवरात्रि पर ही परमात्मा इस धरा पर अवतरित हुए थे। इसी उपलक्ष्य में हम महाशिवरात्रि मनाते हैं। भगवान शिव अज्ञान एवं अंधकार मिटाने के लिए ही इस धरा पर अवतरित हुए थे। उन्होंने भगवान शिव की प्रतिमा पर बेल, धतूरा, बेल पत्र, गन्ना आदि चढ़ाए जाने का आध्यात्मिक रहस्य बताया। अल्पना बहन ने कहा कि भगवान शिव ने समुद्र मंथन के समय निकला हुआ विष स्वयं धारण किया था। यदि वह विष पृथ्वी पर डाल दिया जाता तो प्रलय हो सकती थी। भगवान शिव द्वारा विष कंठ में धारण कर लिया गय जिससे वह नीलकंठ कहलाए। बेल, धतूरा, बेलपत्र आदि विष को कम करते हैं। यही कारण है कि भगवान शिव को बेल पत्र, धतूरा आदि चढ़ाया जाता है।
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