भगवान भाई ने युवा कैदियों को कहा कि बदला लेने केबजाय स्वयं को ही बदलकर दिखाने की प्रवृति रखनी है। उन्होंने कहा कि हम किसके बच्चे हैं? जिस परमात्मा के हम बच्चे हैं, वह तो शांति का सागर, दयालू, कृपालू, क्षमा का सागर है। हम स्वयं को भूलने से ऐसी गलतियां कर बैठते हैं। उन्होंने कहा कि हम ऐसा कोई कर्म नकरें जिस कारण धर्मराज पूरी मेंहमें सिर झुकाना पडेÞ, पछताना पडेÞ, रोना पडेÞ। अवगुण या बुराईयां बसी हैं। उसे दूर भगाना हैं, ईर्ष्या करना, लड़ना, झगड़ना, चोरी करना, लोभ, लालच, यह तो हमारे दुश्मन हैं। जिसके अधीन होने से हमारे मान, सम्मान को चोट पहुंचती हैं।बुराईयां दूर करना तो आदर्श इंसान की पहचान हैं। इन अवगुणों ने और बुराईयों ने हमें कंगाल बनाया इससे दूर रहना है।जीवन में नैतिक मूल्यों की धारणा करने की आवश्यकता है। जीवन में सद्गुण न होने केकारण ही समस्याएं पैदा होती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन बड़ा अनमोल होता है। उसे व्यर्थ कर्म कर व्यर्थ ऐसा ही नहीं गंवाना चाहिए। मजबूरी को परीक्षा समझकर उसे धैर्यता और सहनशीलता सेपार करते हैं, तो अनेक दुख और धोखे से बच सकते हैं। जीवन में परिवर्तन लाकर श्रेष्ठ चरित्रवान बनने का लक्ष्य रखना है। तब कारागार आपके लिए सुधारगृहसाबित होगा। अंग्रेजों को खदेड़कर बाहर निकाला ठीक उसी प्रकार हमें अपने आंतरिक बुराईयों को निकालना हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने यह देश हमारेलिए स्वतंत्र बनाकर खुशी, आनंद में रहने के लिए दिया है
ब्रह्माकुमार भगवान भाई ,ब्रह्माकुमारीज ,माउंट आबू राजस्थान (भारत) 5000 स्कूलों और 800 कारागृह (जेलों) में नैतिक मूल्यों का पाठ पढ़ाकर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज है
Thursday, February 8, 2018
बदला लेने केबजाय स्वयं को ही बदलकर दिखाने की प्रवृति रखनी है---- बी के भगवान् भाई
भगवान भाई ने युवा कैदियों को कहा कि बदला लेने केबजाय स्वयं को ही बदलकर दिखाने की प्रवृति रखनी है। उन्होंने कहा कि हम किसके बच्चे हैं? जिस परमात्मा के हम बच्चे हैं, वह तो शांति का सागर, दयालू, कृपालू, क्षमा का सागर है। हम स्वयं को भूलने से ऐसी गलतियां कर बैठते हैं। उन्होंने कहा कि हम ऐसा कोई कर्म नकरें जिस कारण धर्मराज पूरी मेंहमें सिर झुकाना पडेÞ, पछताना पडेÞ, रोना पडेÞ। अवगुण या बुराईयां बसी हैं। उसे दूर भगाना हैं, ईर्ष्या करना, लड़ना, झगड़ना, चोरी करना, लोभ, लालच, यह तो हमारे दुश्मन हैं। जिसके अधीन होने से हमारे मान, सम्मान को चोट पहुंचती हैं।बुराईयां दूर करना तो आदर्श इंसान की पहचान हैं। इन अवगुणों ने और बुराईयों ने हमें कंगाल बनाया इससे दूर रहना है।जीवन में नैतिक मूल्यों की धारणा करने की आवश्यकता है। जीवन में सद्गुण न होने केकारण ही समस्याएं पैदा होती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन बड़ा अनमोल होता है। उसे व्यर्थ कर्म कर व्यर्थ ऐसा ही नहीं गंवाना चाहिए। मजबूरी को परीक्षा समझकर उसे धैर्यता और सहनशीलता सेपार करते हैं, तो अनेक दुख और धोखे से बच सकते हैं। जीवन में परिवर्तन लाकर श्रेष्ठ चरित्रवान बनने का लक्ष्य रखना है। तब कारागार आपके लिए सुधारगृहसाबित होगा। अंग्रेजों को खदेड़कर बाहर निकाला ठीक उसी प्रकार हमें अपने आंतरिक बुराईयों को निकालना हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने यह देश हमारेलिए स्वतंत्र बनाकर खुशी, आनंद में रहने के लिए दिया है
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