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Thursday, March 20, 2014

कारा गृह है परिवर्तन की तपोस्थली : भगवानभाई

कारा गृह है परिवर्तन की तपोस्थली : भगवानभाई

Bhaskar News Network | Jan 13, 2014, 03:32AM IST
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> कैदियों के बीच संस्कार परिवर्तन एवं व्यवहार शुद्धि कार्यशाला
भास्कर न्यूज - बोकारो
कर्मों के आधार पर ही संसार चलता है। कर्मों से ही मनुष्य महान बनता है। कर्मों से ही कंगाल बनता है। उक्त बातें प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउंटआबू से आए राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने कही। वे मंडल कारा चास में कैदियों को संस्कार परिवर्तन एवं व्यवहार शुद्धि विषय पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कर्म से ही मनुष्य डाकू से ऋषि बन जाता है। डाकू से वाल्मीकि बन कर उन्होंने रामायण लिख डाली। उन्होंने कहा मनुष्य जीवन बड़ा अनमोल है। इसे व्यर्थ गंवाना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि मनुष्य की गलतियां ही उसे सही रूप में इंसान बनाती हैं। केवल हमें उन गलतियों को स्वयं ही महसूस कर उसे बदलने की आवश्यकता है। उन्होंने कैदियों से कहा कि कारागृह उनके लिए तपोस्थली है। यहां एकांत में बैठकर स्वयं के बारे में सोचने और टटोलने का मौका मिलता है। उन्हें सोचना है कि कि उनके जीवन का उद्देश्य क्या है। भगवान ने उन्हें किस उद्देश्य से इस संसार में भेजा है और वे यहां आकर क्या कर रहे हैं। ऐसा चिंतन कर अपने व्यवहार और संस्कारों में परिवर्तन कर अच्छा इंसान बन सकते हैं। स्थानीय ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय सेवाकेंद्र के बीके शैलेश भाई, जेलर श्रीकांत सिन्हा और डा. केके दास ने भी कैदियों को चिंतन कर सुधार लाने की अपील की।

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