विकारों के त्याग से प्रसन्न होते हैं भोले
Tue, 25 Feb 2014 01:09 AM (IST)
विकारों के त्याग से प्रसन्न होते हैं भोले
बदायूं : शहर के ब्रह्माकुमारी केंद्र पर हुए कार्यक्रम में शिवरात्रि त्योहार के विषय में विस्तार से बताया गया। राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने शिवरात्रि के बारे में बताते हुए भगवान भोले शंकर का गुणगान किया।
सोमवार को हुए कार्यक्रम के दौरान राजयोगी ब्रहम्कुमार भगवान भाई ने भक्तों से कहा कि वह भोलेनाथ को प्रसन्न करना चाहते हैं तो अपने आंतरिक विकारों का त्याग करें। यह विकार काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईष्र्या, घृणा और नफरत ही मनुष्य के पतन के कारण बनते हैं। बताया कि महा शिवरात्रि एक सार्व- भौमिक त्योहार है। हम सभी मनुष्य आत्माओं के आत्मिक पिता, परमात्मा के अवतरण का यादगार पर्व है। उन्होंने कहा कि यह त्योहार हमें भाईचारे की स्मृति दिलाता है। महाशिवरात्रि अर्थात ही स्वयं में जागृति लाना है कि मैं कौन हूं, कहां से आया हूं, मेरा आत्मिक पिता कौन है, अब कौनसा सम चल रहा है। उन्होंने बताया कि जब मनुष्य यह सबकुछ भूल जाता है तब ऐसे अज्ञान अंधकार के रात्रि में परमात्मा शिव का अवतरण होता है। इसका यह यादगार पर्व है। उन्होंने बताया कि हमें अब मन और बुद्धि से उस निराकार परमपिता शिव को याद करना है यही वास्तव में उपवास है। शिवजी पर बेर चढ़ाते हैं तो हमें अपने आंतरिक बैर को छोड़ना है, यही वास्तव में बेर चढ़ाना है। शिव को प्रसन्न करने के लिए हमें बुराईयों को त्यागने की प्रतिज्ञा करनी है। इधर, राजकीय कन्या इंटर कालेज, राजकीय इंटर कालेज और शिवदेवी स्कूल में हुए नैतिक शिक्षा अभियान कार्यक्रम में भगवान भाई ने नैतिक मूल्यों के बारे में बताया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि जितना हम स्वयं को और दूसरों को यथार्थ के रूप में जानते हैं, उतना ही हमारे अंदर नैतिक मूल्य आना शुरू हो जाता है। स्वयं को दूसरों का जीवन चक्र का यथार्थ जानना ही आध्यात्मिता है। उन्होंने कहा कि मूल्यों का आधार विवेक आध्यात्मिकता से विवेक जाग्रत होता है और भौतिकता से विवेक भ्रष्ट होता है। इसलिए आज समाज में भौतिकता का पलड़ा भारी है। इसी वजह से नैतिक मूल्यों में गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि नैतिक मूल्य माना मानव उत्थान के लिए लागू किए गए नियम हैं अगर हम अपने जीवन का उत्थान चाहते हैं तो चरित्रवान बनना चाहते हैं तो स्वीकार करने में कोई हर्ज नहीं है। इस मौके पर प्रधानाचार्या नूतन रानी, बीके सक्सेना, बीके आनंद, सीपी सक्सेना ने भी विचार व्यक्त किए।