- ब्रह्माकु मार भगवान भाई ने कहा
आलीराजपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
यहां जेल नहीं, बल्कि अपने आप को सुधारने के लिए सुधार गृह है। इस सुधार गृह के एकांत के वातावरण में जिस भूल के कारण हमसे अपराध हुआ है। उसमें सुधार लाना है। जिला जेल में स्वयं को परिवर्तन करने की प्रवृत्ति रखनी है। दूसरों से बदला लेने के बजाय स्वयं को बदलो, बदला लेने से समस्याएं बढ़ जाती है।
ये बात प्रजापिता ब्रह्माकु मारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू राजस्थान से आए राजयोगी ब्रह्माकु मार भगवान भाई ने कही। वे जिला जेल में बंद बंदियों को सकारात्मक परिवर्तन व व्यवहार शुद्ध के विषय में एक कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे। भगवान भाई ने कहा जेल में स्वयं का परिवर्तन कर गलतियों को महसूस करने के लिए सोचो कि मैं इस संसार में क्यों आया हूं। मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है। भगवान ने मुझे क्या करने के लिए भेजा था। मैं आकर क्या कर रहा हूं ऐसे बातों को चिंतन करने से महसूस करने से स्वयं के संस्कार व व्यवहार में शुद्धता आएगी।

उन्होंने बताया कि कोई भी मनुष्य जनमत अपराधी नहीं होता है, जब वहां इस संसार में आता है। उसे गलत संग, गलत खानपान, गलत शिक्षा व व्यसन नशे के अधीन होता है तो वहां अपराधी बन जाता है। भाईजी ने बताया कि काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, नफरत यहां मनोविकार की मानव के दुश्मन है। इनमें मनोविकार को अध्यात्मिक ज्ञान द्वारा परिवर्तन कर जीवन में सहनशक्ति, नम्रता, शांति, भाईचारा, आपसी प्रेम जैसे सद्गुणों को अपनाने से नैतिक मूल्यों से हम फिर से सही इंसान बन सकते हैं।
भगवान भाई ने बताया कि जीवन की कु छ समस्याएं तो हमारे पिछले जन्मों के कर्मों के कारण आती है। उसे समझकर हमें उसे शांति से निपटना है। कर्मों से ही व्यक्तित्व कंगाल या महान बनता है। आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा हम कर्मों को महान बना सकते हैं। मानव होने के नाते हमें अपने कर्म इंद्रियों द्वारा कोई भी गलत कर्म नहीं करना चाहिए अन्यथा अगले जन्म में हमें वह कर्मइंद्रियों अधूरे रूप में मिलती है। जीवन की हर घटना के पीछे कु छ कल्याण भी छिपा हुआ रहता है। इसलिए विपरीत परिस्थितियों में तनाव मुक्त रहकर उस परिस्थिति को जीतना है।