जागरण संवाददाता, जींद : यह कारागृह नहीं बल्कि अपने आपको सुधारने के लिए सुधार गृह है। यहा के एकांत वातावरण में हमें अपनी भूल को सुधारने का मौका मिला है। सभी इस समय का लाभ उठाकर अपने में सकारात्मक परिवर्तन लाना चाहिए। दूसरों से बदला लेने की बजाय स्वयं को बदलने का प्रयास करना चाहिए। बदला लेने से यहा समस्याएं ओर बढ़ जाती है और भविष्य अंधकारमय हो सकता है जबकि खुद को बदलने से समस्यायें खत्म हो जाती है और भविष्य स्वर्णिम हो जाता है। ये बातें राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने जिला कारागृह में कैदियों को संबोधित करते हुए कही। वे माउंट आबू से विशेष तौर पर जीन्द आये हुए है। भगवान भाई ने भारत की आठ सौ जेल में कैदियों को नैतिकता का पाठ पढ़ाकर इण्डिया बुक ऑफ रिकार्ड में अपना दर्ज करवाया है। यह कार्यक्रम ब्रह्माकुमारीज जींद द्वारा आयोजित किया गया। इस अवसर पर जेल अधीक्षक डॉ. हरीश रंगा, डीएसपी सेवा सिंह, रेणु बहन, मीना आदि मौजूद थे।
भगवान भाई ने आगे कहा कि कोई भी मनुष्य जन्म से अपराधी नहीं होता बल्कि बुरी संगत, गलत खानपान, गलत शिक्षा, नशे की आदत उसे अपराधी बनने पर मजबूर कर देती है। काम, क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार, नफरत जैसे विकार मनुष्य के सही दुश्मन है। हमें इन विकारों रूपी दुश्मन को खत्म करके अपने जीवन में नैतिक मूल्य, शाति, भाईचारा, प्रेम, सहनशीलता जैसे सद्गुणों को अपनाकर अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए।