Pages

Saturday, January 19, 2013

नैतिक शिक्षा से होता है चरित्र विकास--- भगवान भाई






नैतिक शिक्षा से होता है चरित्र विकास
 छात्राओं के लिए नैतिक शिक्षा विषय पर कार्यक्रम "ख१२ऋ

-ीचगनैही्रनैतिक शिक्षा से होता है चरित्र विकास "ख४०ऋ

ीटा्रश्योपुर। बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है। नैतिक शिक्षा से ही चरित्र में विकास संभव है। उक्त विचार प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू से पधारे हुए राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने व्यक्त किए।

छात्राओं की नैतिक शिक्षा विषय पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान गांधी सेवा आश्रम बालिका एवं शासकीय बालिका उमावि छात्रावास की छात्राओं को संबोधित करते हुए भगवान भाई ने कहा कि विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुकरण, लेखन, व्यवहारिक ज्ञान के लिए उन्हें प्रेरणा देने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि जो ज्ञान विद्यार्थियों को अज्ञान रूपी अंधकार से ज्योति या प्रकाश की ओर या असत्य से सत्य की ओर से जाता है।वहीं सच्चा ज्ञान है।शिक्षा लेने के बाद कोई भी शिक्षा लेने के बाद अज्ञान रूपी अंधकार में रह जाएं।उन्होने बताया कि सद्गुणी शिक्षा तो मानव जीवन की शोभा है।सद्गुणों के आचरण से ही मानव जीवन के व्यवहार और आचरण में निखार आता है।उन्होने बताया कि शिक्षा का मूल उद्देश्य चरित्र निर्माण करने के लिए है।सद्गुणों से ही व्यक्ति अच्छा या बुरा बनता है,जिनमें सदगुण है,वही महान है और जिनमें सद्गुण नही वह कंगाल है। भगवान भाई ने कहा कि जीवन के दुर्गुण ही अंधकार है। दुर्गुण निकालकर सद्गुणों को अपनाना ही अंधकार से प्रकाश की ओर जाना है।अक्षर ज्ञान के साथ जीवन जीने की कला सीखना भी जरूरी है।

No comments:

Post a Comment