प्लेटिनम जुबली के उपलक्ष्य में माउंट आबू से आए भगवानभाई ने
जोबट में भगवानभाई ने कहा- ‘मैं’ मनुष्य के पतन का कारण
जोबट में भगवानभाई ने कहा- ‘मैं’ मनुष्य के पतन का कारण
जोबट & ‘मैं’ मनुष्य के पतन का कारण है। इसकी बलि चढ़ाकर शरीर रूपी घर में आत्मा रूपी दीपक जलाओ। ईष्र्या रूपी कचरे को पॉजिटिव सोच से साफ करो तो आपके घरों में संपन्नता निवास करने लगेगी।यह बात ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की प्लेटिनम जुबली पर स्थानीय अगाल धर्मशाला में रोजयोग प्रशिक्षण कार्यक्रम में भगवान भाई ने कही। उन्होंने कहा वर्तमान में हर व्यक्ति तनाव से ग्रसित है। इस कारण जीवन में कोई रस नहीं आता बल्कि दूसरों में बुराई नजर आती है। नकारात्मक सोच मनुष्य को गर्त में ले जाती है व सकारात्मक सोच परम आनंद के साथ परमात्मा से जोड़ती है। भगवान भाई ने कहा जब मनुष्य जन्म लेता है तो उसमें कोई विकास नहीं होता, किंतु कर्मों की गति से काम, क्रोध, मोह, अहंकार उत्पन्न होते हैं। ऐसे विकार हमारे शत्रु हैं। मुख्य अतिथि पूर्व विधायक माधौसिंह डावर ने तनावमुक्त जीवन के लिए एक बुराई त्यागने की बात शिविर में उपस्थित लोगों से की। श्री डावर ने जोबट में भी ध्यान केंद्र स्थापित करने में सहयोग देने की अपील की। अध्यक्षता कर रहे पं. नटवर श्यामा शर्मा ने भी संबोधित किया। इसके पूर्व उपजेल जोबट में भी बंदियों को सद्मार्ग अपनाने के लिए व्याख्यान भगवान भाई ने दिए। अतिथियों का स्वागत यशपाल शर्मा ने किया।
Posted by BK BHAGWAN BRAHMAKUMARIS MOUNT ABU ARTIKAL at 12:47 PM 0 comments
Labels: भगवान भाई
क्रोध का प्रारंभ मूढ़ता से और अंत पश्चाताप से ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र पर माउंट आबू के राजयोगी भगवानभाई ने कहा भास्कर संवाददाता & आलीराजपुर
क्रोध का प्रारंभ मूढ़ता से और अंत पश्चाताप से
ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र पर माउंट आबू के राजयोगी भगवानभाई ने कहा
भास्कर संवाददाता & आलीराजपुर
क्रोध का प्रारंभ मूढ़ता से होता है और अंत पश्चाताप से, क्रोध विवेक को नष्ट करता है। क्रोध से तनाव और तनाव से अनेक बीमारियां पैदा होती हैं। क्रोध के कारण ही मन की एकाग्रता खत्म होती है, जिस कारण जीवन अशांत बन जाता है।
यह बात प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू के राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवानभाई ने कही। वे स्थानीय ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र पर ईश्वरप्रेमी भाई बहनों को क्रोधमुक्त जीवन विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा क्रोध मनुष्य को शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर बनाता है। क्रोध की अग्नि में स्वयं भी जलते हैं और दूसरों को भी जलाते हैं। यही मनुष्य से पाप कराता है। भगवान भाई ने क्रोध पर काबू पाने के भी उपाय बताए। उन्होंने कहा राजयोग के अभ्यास द्वारा क्रोध पर काबू पाया जा सकता है। आत्मनिश्चय कर परमपिता परमात्मा को मन बुद्धि द्वारा याद करना, उनके गुणगान करना ही राजयोग है। राजयोग द्वारा ही हम अपने कर्म इंद्रियों पर संयम रख सकते हैं। सेवा केंद्र की संचालिका बीके माधुरी बहन ने कहा राजयोग द्वारा ही मन को सच्ची शांति प्राप्त होती है। कार्यक्रम के अंत में भगवानभाई ने सभी को राजयोग का अभ्यास करवाया।
जोबट में भगवानभाई ने कहा- ‘मैं’ मनुष्य के पतन का कारण
जोबट में भगवानभाई ने कहा- ‘मैं’ मनुष्य के पतन का कारण
जोबट & ‘मैं’ मनुष्य के पतन का कारण है। इसकी बलि चढ़ाकर शरीर रूपी घर में आत्मा रूपी दीपक जलाओ। ईष्र्या रूपी कचरे को पॉजिटिव सोच से साफ करो तो आपके घरों में संपन्नता निवास करने लगेगी।यह बात ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की प्लेटिनम जुबली पर स्थानीय अगाल धर्मशाला में रोजयोग प्रशिक्षण कार्यक्रम में भगवान भाई ने कही। उन्होंने कहा वर्तमान में हर व्यक्ति तनाव से ग्रसित है। इस कारण जीवन में कोई रस नहीं आता बल्कि दूसरों में बुराई नजर आती है। नकारात्मक सोच मनुष्य को गर्त में ले जाती है व सकारात्मक सोच परम आनंद के साथ परमात्मा से जोड़ती है। भगवान भाई ने कहा जब मनुष्य जन्म लेता है तो उसमें कोई विकास नहीं होता, किंतु कर्मों की गति से काम, क्रोध, मोह, अहंकार उत्पन्न होते हैं। ऐसे विकार हमारे शत्रु हैं। मुख्य अतिथि पूर्व विधायक माधौसिंह डावर ने तनावमुक्त जीवन के लिए एक बुराई त्यागने की बात शिविर में उपस्थित लोगों से की। श्री डावर ने जोबट में भी ध्यान केंद्र स्थापित करने में सहयोग देने की अपील की। अध्यक्षता कर रहे पं. नटवर श्यामा शर्मा ने भी संबोधित किया। इसके पूर्व उपजेल जोबट में भी बंदियों को सद्मार्ग अपनाने के लिए व्याख्यान भगवान भाई ने दिए। अतिथियों का स्वागत यशपाल शर्मा ने किया।
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क्रोध का प्रारंभ मूढ़ता से और अंत पश्चाताप से ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र पर माउंट आबू के राजयोगी भगवानभाई ने कहा भास्कर संवाददाता & आलीराजपुर
क्रोध का प्रारंभ मूढ़ता से और अंत पश्चाताप से
ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र पर माउंट आबू के राजयोगी भगवानभाई ने कहा
भास्कर संवाददाता & आलीराजपुर
क्रोध का प्रारंभ मूढ़ता से होता है और अंत पश्चाताप से, क्रोध विवेक को नष्ट करता है। क्रोध से तनाव और तनाव से अनेक बीमारियां पैदा होती हैं। क्रोध के कारण ही मन की एकाग्रता खत्म होती है, जिस कारण जीवन अशांत बन जाता है।
यह बात प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू के राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवानभाई ने कही। वे स्थानीय ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र पर ईश्वरप्रेमी भाई बहनों को क्रोधमुक्त जीवन विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा क्रोध मनुष्य को शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर बनाता है। क्रोध की अग्नि में स्वयं भी जलते हैं और दूसरों को भी जलाते हैं। यही मनुष्य से पाप कराता है। भगवान भाई ने क्रोध पर काबू पाने के भी उपाय बताए। उन्होंने कहा राजयोग के अभ्यास द्वारा क्रोध पर काबू पाया जा सकता है। आत्मनिश्चय कर परमपिता परमात्मा को मन बुद्धि द्वारा याद करना, उनके गुणगान करना ही राजयोग है। राजयोग द्वारा ही हम अपने कर्म इंद्रियों पर संयम रख सकते हैं। सेवा केंद्र की संचालिका बीके माधुरी बहन ने कहा राजयोग द्वारा ही मन को सच्ची शांति प्राप्त होती है। कार्यक्रम के अंत में भगवानभाई ने सभी को राजयोग का अभ्यास करवाया।
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