खड़गपुर (पश्चिम बंगाल) -----सेवाकेंद्र पर जीवन में सकारत्मक विचारो का महत्व पर कार्यक्रम
आयोजक –ब्रह्माकुमारीज खड़गपुर (पश्चिम बंगाल)
मुख्य वक्ता --बी के भगवान् भाई माउंट आबू
विषय – जीवन में सकारत्मक विचारो का महत्व
बी के आलशन बहन प्रभारी तमलुक (पश्चिम बंगाल)
बी के मानसी बहन राजयोगी खड़गपुर (पश्चिम बंगाल)
इस अवसर पर भगवान् भाई ने कहा कि क्षणिक क्रोध या आवेश मनुष्य को कभी न सुधरने वाली भूल कर बैठता है। इसी से मानसिक तनाव बढ़ता है। उन्होंने कहा कि मन में चलने वाले नकारात्मक विचार, शंका, कुशंका, ईर्ष्या, घृणा, नफरत अभिमान के कारण ही क्रोध कई सालों तक पश्चाताप के इसी से हम मनोबल को मजबूत बना सकते हैं। क्रोध मुक्त और तनाव मुक्त जीवन जी सकतेकारण बन जाते हैं। इससे रूखापन मानसिक बीमारियां भी होती हैं।अपराधों और व्यसनों के कारण क्रोध बढ़ रहा है। जिस घर में क्रोध होता है वहां बरकत नहीं होती। सकारात्मक चिंतन से सहनशीलता आती है। सकारात्मक चिंतन से कई समस्याओं का समाधान हो जाता है। उन्होंने कहा मनुष्य यदि चाह ले कि वह सकारात्मक है तो क्रोध फटकेगा भी नहीं। आध्यात्मिक ज्ञान को सकारात्मक विचारों का स्रोत बताया। उन्होंने कहा स्वयं को यर्थात जानना, पिता परमात्मा को जानना, अपने जीवन का असली उद्देश्य को जानना जरूरी है। तनाव मुक्त रहने के लिए हमें रोजाना ईश्वर का चिंतन, गुणगान करना चाहिए।भगवान् भाई ने कहा की जीवन की विपरीत एवं व्यस्त परिस्थितियों में संयम बनाए रखने की कला है। आध्यात्मिकता का अर्थ स्वयं को जानना है। प्र्रेम छोटा सा शब्द है, पर जीवन में इसका बड़ा महत्व है। साधन बढ़ रहे हैं, लेकिन जीवन का मूल्य कम होता जा रहा है। उन्होंंने कहा कि सभी को भगवान से प्रेम है। परमात्मा सूर्य के समान है। उनसे निकलने वाली प्रेम रूपी किरणें सभी पर समान रूप से पड़ती है। उन्होंने कहा कि शांति हमारे अंदर है, इसे जानने के साथ ही महसूस करने की भी जरूरत है। भगवान कभी किसी को दुख नहीं देता बल्कि रास्ता दिखता हैे। काम, क्रोध, लोभ, मोह एवं अहंकार के त्याग से ही भगवान के दर्शन होते हैं। राजयोग के अभ्यास से उनके जीवन में हुए सकारात्मक परिवर्तन को साझा किए।
आयोजक –ब्रह्माकुमारीज खड़गपुर (पश्चिम बंगाल)
मुख्य वक्ता --बी के भगवान् भाई माउंट आबू
विषय – जीवन में सकारत्मक विचारो का महत्व
बी के आलशन बहन प्रभारी तमलुक (पश्चिम बंगाल)
बी के मानसी बहन राजयोगी खड़गपुर (पश्चिम बंगाल)
इस अवसर पर भगवान् भाई ने कहा कि क्षणिक क्रोध या आवेश मनुष्य को कभी न सुधरने वाली भूल कर बैठता है। इसी से मानसिक तनाव बढ़ता है। उन्होंने कहा कि मन में चलने वाले नकारात्मक विचार, शंका, कुशंका, ईर्ष्या, घृणा, नफरत अभिमान के कारण ही क्रोध कई सालों तक पश्चाताप के इसी से हम मनोबल को मजबूत बना सकते हैं। क्रोध मुक्त और तनाव मुक्त जीवन जी सकतेकारण बन जाते हैं। इससे रूखापन मानसिक बीमारियां भी होती हैं।अपराधों और व्यसनों के कारण क्रोध बढ़ रहा है। जिस घर में क्रोध होता है वहां बरकत नहीं होती। सकारात्मक चिंतन से सहनशीलता आती है। सकारात्मक चिंतन से कई समस्याओं का समाधान हो जाता है। उन्होंने कहा मनुष्य यदि चाह ले कि वह सकारात्मक है तो क्रोध फटकेगा भी नहीं। आध्यात्मिक ज्ञान को सकारात्मक विचारों का स्रोत बताया। उन्होंने कहा स्वयं को यर्थात जानना, पिता परमात्मा को जानना, अपने जीवन का असली उद्देश्य को जानना जरूरी है। तनाव मुक्त रहने के लिए हमें रोजाना ईश्वर का चिंतन, गुणगान करना चाहिए।भगवान् भाई ने कहा की जीवन की विपरीत एवं व्यस्त परिस्थितियों में संयम बनाए रखने की कला है। आध्यात्मिकता का अर्थ स्वयं को जानना है। प्र्रेम छोटा सा शब्द है, पर जीवन में इसका बड़ा महत्व है। साधन बढ़ रहे हैं, लेकिन जीवन का मूल्य कम होता जा रहा है। उन्होंंने कहा कि सभी को भगवान से प्रेम है। परमात्मा सूर्य के समान है। उनसे निकलने वाली प्रेम रूपी किरणें सभी पर समान रूप से पड़ती है। उन्होंने कहा कि शांति हमारे अंदर है, इसे जानने के साथ ही महसूस करने की भी जरूरत है। भगवान कभी किसी को दुख नहीं देता बल्कि रास्ता दिखता हैे। काम, क्रोध, लोभ, मोह एवं अहंकार के त्याग से ही भगवान के दर्शन होते हैं। राजयोग के अभ्यास से उनके जीवन में हुए सकारात्मक परिवर्तन को साझा किए।