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Saturday, November 25, 2017

देवबंद (उत्तर प्रदेश ) स्थानीय ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र पर सकारात्मक चिंतन पर कार्यक्रम

देवबंद (उत्तर प्रदेश )--- स्थानीय ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र पर सकारात्मक चिंतन  पर कार्यक्रम
आयोजक –स्थानीय ब्रह्माकुमारी  सेवाकेंद्र देवबंद (उत्तर प्रदेश ) 
मुख्य वक्ता ---ब्रह्मकुमार भगवान् भाई माउंट आबू 
विषय ---सकारात्मक चिंतन 
बी के पारुल बहन स्थानीय ब्रह्माकुमारी प्रभारी देवबंद (उत्तर प्रदेश ) 
बी के आरर्विद भाई   देवबंद (उत्तर प्रदेश ) 
इस अवसर पर बी के भगवान् भाई ने कहा कि वर्तमान समय जितनी भी समस्या हैं उन सबका कारण है नकारात्मक सोच। नकारात्मक सोच से तनाव बढ़ता है। तनाव मुक्त बनने के लिए सकारात्मक विचार संजीवनी बूटी है। सकारात्मक विचार से ही मुक्ति संभव है।
उन्होंने  ने कहा कि 19वीं सदी तर्क की थी, 20वीं सदी प्रगति की रही और 21वीं सदी तनाव पूर्ण होगी। ऐसे तनावपूर्ण परिस्थितियों में तनाव से मुक्त होने सकारात्मक विचारों की आवश्यकता है।राजयोग के द्वारा हम अपने इंद्रियों पर सयंम रखकर अपने मनोबल को बढा  सकते हैं । राजयोग द्वारा आंतरिक शक्तियाँ और सद्गुण को उभार कर जीवन में निखार ला सकते हैं - राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान ने कहा । वे आज स्थानीय सेवकेन्द्र में आयोजित कार्यक्रम में  बोल रहे थे । उन्होनें कहा कि राजयोग के अभ्यास द्वारा सहनशीलता, नम्रता, एकाग्रता, शांति, धैर्यता, अंतर्मुखता ऐसे अनेक सद्गुणों का जीवन में विकास कर सकते है । राजयोग द्वारा ही मन की शांति संभव है। उन्होनें बताया की राजयोग के अभ्यास से अतींद्रिय सुख की प्राप्ति होती हैं । जिन्होनें अतींद्रिय सुख की प्राप्ति कर ली उनको इस संसार के वस्तु, वैभव का सुख फीका लगने लगता हैं । 
राजयोगी भगवान भाई ने अपने अनुभव के आधार से बताया की राजयोग के अभ्यास से विपरीत परिस्थिति में भी सकारात्मक चिंतन के द्वारा मन को एकाग्र किया जा सकता है। उन्होनें कहा कि वर्तमान की तनावपूर्ण परिस्थितियों में मन को एकाग्र और शांत रखने के लिए राजयोग संजीवनी बूटी की तरह काम आता हैं । 
उन्होनें कहा की राजयोग द्वारा अपने कर्मेन्द्रियों पर संयम कर कर्म में कुशलता से सकारात्मक चिंतन, सकारात्मक वृति और दृष्टिकोण की उपलब्धि होती हैं जिससे हम ब्यर्थ से बच सकते हैं । भगवान भाई ने कहा की राजयोग के अभ्यास द्वारा तनाव मुक्त बन हम अनेक बीमारियों से स्वंम को बचा सकते हैं। मानसिक और शारीरिक बीमारियों से बचने का राजयोग एक कवच कुंडल हैं। उन्होनें कहा कि राजयोग के द्वारा मन को दिशा निर्देशन मिलती हैं जिससे मन का भटकना समाप्त हो जाता हैं। 
बी के पारुल ने राजयोग की विधि बताते हुआ कहा कि स्वंम को आत्मा निश्चय कर चाँद, सूर्य, तारांगण से पार रहनेवाले परमशक्ति परमात्मा को याद करना, मन-बुद्धि द्वारा उसे देखना, उनके गुणों का गुणगान करना ही राजयोग हैं । राजयोग के द्वारा हम परमात्मा के मिलन का अनुभव कर सकता हैं । उन्होनें कहा की राजयोग के अभ्यास द्वारा ही हम काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, घृणा, नफरत आदि मनोविकारों पर जीत प्राप्त कर जीवन को अनेक सद्गुणों से ओतपोत व भरपूर कर सकते हैं। 
कुछ ने अपना अनुभव भी सुनाया 

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