राजयोग से हम अपने इंद्रियों पर संयम रखकर अपने मनोबल को बढ़ा सकते हैं। राजयोग से आंतरिक शक्तियों व सद्गुणों को उभारकर जीवन में निखार ला सकते हैं। शिवाजी नगर स्थित प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए माउंट आबू केंद्र के राजयोगी ब्रह्मकुमार ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि राजयोग के अभ्यास से सहनशीलता, नम्रता, एकाग्रता, शांति, धैर्यता व अंतरमुखता जैसे अनेक सद्गुणों का जीवन में विकास कर सकते हैं। राजयोगी भगवान भाई ने कहा कि राजयोग के अभ्यास से विपरीत परिस्थितियों में भी सकारात्मक चिंतन से मन को एकाग्र किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिवेश में तनावपूर्ण परिस्थितियों में मन को एकाग्र और शांत रखने के लिए राजयोग संजीवनी बूटी की तरह काम करता है। उन्होंने राजयोग की विधि बताते हुए कहा कि स्वयं को आत्मा निश्चय कर चांद, सूरज, तारांगण से पार रहने वाले परमशक्ति परमात्मा को याद करना तथा मन बुद्धि से उसे देखना व उनके गुणों का गुणगान करना ही राजयोग है। शीला बहन ने कहा कि परमपिता शिव सहज राजयोग और आध्यात्मिक ज्ञान से
ब्रह्माकुमार भगवान भाई ,ब्रह्माकुमारीज ,माउंट आबू राजस्थान (भारत) 5000 स्कूलों और 800 कारागृह (जेलों) में नैतिक मूल्यों का पाठ पढ़ाकर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज है
Saturday, May 3, 2014
राजयोग से हम अपने इंद्रियों पर संयम रखकर अपने मनोबल को बढ़ा सकते हैं
राजयोग से हम अपने इंद्रियों पर संयम रखकर अपने मनोबल को बढ़ा सकते हैं। राजयोग से आंतरिक शक्तियों व सद्गुणों को उभारकर जीवन में निखार ला सकते हैं। शिवाजी नगर स्थित प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए माउंट आबू केंद्र के राजयोगी ब्रह्मकुमार ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि राजयोग के अभ्यास से सहनशीलता, नम्रता, एकाग्रता, शांति, धैर्यता व अंतरमुखता जैसे अनेक सद्गुणों का जीवन में विकास कर सकते हैं। राजयोगी भगवान भाई ने कहा कि राजयोग के अभ्यास से विपरीत परिस्थितियों में भी सकारात्मक चिंतन से मन को एकाग्र किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिवेश में तनावपूर्ण परिस्थितियों में मन को एकाग्र और शांत रखने के लिए राजयोग संजीवनी बूटी की तरह काम करता है। उन्होंने राजयोग की विधि बताते हुए कहा कि स्वयं को आत्मा निश्चय कर चांद, सूरज, तारांगण से पार रहने वाले परमशक्ति परमात्मा को याद करना तथा मन बुद्धि से उसे देखना व उनके गुणों का गुणगान करना ही राजयोग है। शीला बहन ने कहा कि परमपिता शिव सहज राजयोग और आध्यात्मिक ज्ञान से
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