प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय
मुख्यालय माउंट आबू के राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने कहा कि बच्चों के
सर्वागीण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ साथ नैतिक शिक्षा की भी
आवश्यकता है। नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास संभव है।
राजयोगी भगवान भाई ने केसीसीपीटी आर्य कन्या इंटर कालेज में छात्राओं को नैतिक शिक्षा का जीवन में महत्व बताते हुए कहा कि शैक्षिक जगत में विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। नैतिक मूल्यों की कमी व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यावहारिक ज्ञान एवं अन्य की तरफ प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश तथा असत्य से सत्य व बंधनों से मुक्ति की ओर ले जाएं सच्ची शिक्षा है। समाज अमूर्त है और प्रेम, सदभावना, भाईचारा,नैतिकता एवं मानवीय मूल्यों से ही संचालित होता है। एक प्रगतिशील एवं श्रेष्ठ समाज इन्हीं मूल्यों से परिभाषित होता है। शैक्षिक जगत से ही समाज के आधारभूत ढांचे का निर्माण होता है। राजयोगी ने कहा कि शिक्षा ऐसा बीज है जिससे जीवन फलदार वृक्ष बन जाता है। जब तक व्यवहारिक जीवन में सेवाभाव, परोपकार, धैर्य, त्याग, उदारता, नम्रता, सहनशीलता, सत्यता, पवित्रता आदि सदगुणी फल नही आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है। व्यक्तिगत अच्छा व बुरा व्यक्ति अपने अंदर के गुणों से बनता है। गुणवान, चरित्रवान व्यक्ति सभी को प्रिय होता है। राजयोग ब्रह्मकुमारी केन्द्र संचालिका ब्रह्मकुमारी उर्मिला बहन ने कहा कि कुसंग, सिनेमा, व्यसन, फैशन से युवा भटकता है। चरित्र व गुणवान बच्चे देश व समाज की संपत्ति है। कार्यक्रम को प्रधानाचार्य सुशीला देवी, पंकज भाई ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर ब्रह्मकुमारी सिम्मी बहन, सुषमा जग्गा, रोशन, हरिन्द्र, राकेश शर्मा, आदि का योगदान रहा।
राजयोगी भगवान भाई ने केसीसीपीटी आर्य कन्या इंटर कालेज में छात्राओं को नैतिक शिक्षा का जीवन में महत्व बताते हुए कहा कि शैक्षिक जगत में विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। नैतिक मूल्यों की कमी व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यावहारिक ज्ञान एवं अन्य की तरफ प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश तथा असत्य से सत्य व बंधनों से मुक्ति की ओर ले जाएं सच्ची शिक्षा है। समाज अमूर्त है और प्रेम, सदभावना, भाईचारा,नैतिकता एवं मानवीय मूल्यों से ही संचालित होता है। एक प्रगतिशील एवं श्रेष्ठ समाज इन्हीं मूल्यों से परिभाषित होता है। शैक्षिक जगत से ही समाज के आधारभूत ढांचे का निर्माण होता है। राजयोगी ने कहा कि शिक्षा ऐसा बीज है जिससे जीवन फलदार वृक्ष बन जाता है। जब तक व्यवहारिक जीवन में सेवाभाव, परोपकार, धैर्य, त्याग, उदारता, नम्रता, सहनशीलता, सत्यता, पवित्रता आदि सदगुणी फल नही आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है। व्यक्तिगत अच्छा व बुरा व्यक्ति अपने अंदर के गुणों से बनता है। गुणवान, चरित्रवान व्यक्ति सभी को प्रिय होता है। राजयोग ब्रह्मकुमारी केन्द्र संचालिका ब्रह्मकुमारी उर्मिला बहन ने कहा कि कुसंग, सिनेमा, व्यसन, फैशन से युवा भटकता है। चरित्र व गुणवान बच्चे देश व समाज की संपत्ति है। कार्यक्रम को प्रधानाचार्य सुशीला देवी, पंकज भाई ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर ब्रह्मकुमारी सिम्मी बहन, सुषमा जग्गा, रोशन, हरिन्द्र, राकेश शर्मा, आदि का योगदान रहा।