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Thursday, April 10, 2014

प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय मुख्यालय माउंट आबू के राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने कहा कि बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है। नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास संभव है। राजयोगी भगवान भाई ने केसीसीपीटी आर्य कन्या इंटर कालेज में छात्राओं को नैतिक शिक्षा का जीवन में महत्व बताते हुए कहा कि शैक्षिक जगत में विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। नैतिक मूल्यों की कमी व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यावहारिक ज्ञान एवं अन्य की तरफ प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश तथा असत्य से सत्य व बंधनों से मुक्ति की ओर ले जाएं सच्ची शिक्षा है। समाज अमूर्त है और प्रेम, सदभावना, भाईचारा,नैतिकता एवं मानवीय मूल्यों से ही संचालित होता है। एक प्रगतिशील एवं श्रेष्ठ समाज इन्हीं मूल्यों से परिभाषित होता है। शैक्षिक जगत से ही समाज के आधारभूत ढांचे का निर्माण होता है। राजयोगी ने कहा कि शिक्षा ऐसा बीज है जिससे जीवन फलदार वृक्ष बन जाता है। जब तक व्यवहारिक जीवन में सेवाभाव, परोपकार, धैर्य, त्याग, उदारता, नम्रता, सहनशीलता, सत्यता, पवित्रता आदि सदगुणी फल नही आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है। व्यक्तिगत अच्छा व बुरा व्यक्ति अपने अंदर के गुणों से बनता है। गुणवान, चरित्रवान व्यक्ति सभी को प्रिय होता है। राजयोग ब्रह्मकुमारी केन्द्र संचालिका ब्रह्मकुमारी उर्मिला बहन ने कहा कि कुसंग, सिनेमा, व्यसन, फैशन से युवा भटकता है। चरित्र व गुणवान बच्चे देश व समाज की संपत्ति है। कार्यक्रम को प्रधानाचार्य सुशीला देवी, पंकज भाई ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर ब्रह्मकुमारी सिम्मी बहन, सुषमा जग्गा, रोशन, हरिन्द्र, राकेश शर्मा, आदि का योगदान रहा।

प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय मुख्यालय माउंट आबू के राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने कहा कि बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है। नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वागीण विकास संभव है।
राजयोगी भगवान भाई ने केसीसीपीटी आर्य कन्या इंटर कालेज में छात्राओं को नैतिक शिक्षा का जीवन में महत्व बताते हुए कहा कि शैक्षिक जगत में विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। नैतिक मूल्यों की कमी व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यावहारिक ज्ञान एवं अन्य की तरफ प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश तथा असत्य से सत्य व बंधनों से मुक्ति की ओर ले जाएं सच्ची शिक्षा है। समाज अमूर्त है और प्रेम, सदभावना, भाईचारा,नैतिकता एवं मानवीय मूल्यों से ही संचालित होता है। एक प्रगतिशील एवं श्रेष्ठ समाज इन्हीं मूल्यों से परिभाषित होता है। शैक्षिक जगत से ही समाज के आधारभूत ढांचे का निर्माण होता है। राजयोगी ने कहा कि शिक्षा ऐसा बीज है जिससे जीवन फलदार वृक्ष बन जाता है। जब तक व्यवहारिक जीवन में सेवाभाव, परोपकार, धैर्य, त्याग, उदारता, नम्रता, सहनशीलता, सत्यता, पवित्रता आदि सदगुणी फल नही आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है। व्यक्तिगत अच्छा व बुरा व्यक्ति अपने अंदर के गुणों से बनता है। गुणवान, चरित्रवान व्यक्ति सभी को प्रिय होता है। राजयोग ब्रह्मकुमारी केन्द्र संचालिका ब्रह्मकुमारी उर्मिला बहन ने कहा कि कुसंग, सिनेमा, व्यसन, फैशन से युवा भटकता है। चरित्र व गुणवान बच्चे देश व समाज की संपत्ति है। कार्यक्रम को प्रधानाचार्य सुशीला देवी, पंकज भाई ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर ब्रह्मकुमारी सिम्मी बहन, सुषमा जग्गा, रोशन, हरिन्द्र, राकेश शर्मा, आदि का योगदान रहा।

कारागृह नही,सुधार गृह है जेल - भगवान भाई

स्लग - कारागृह नही,सुधार गृह है जेल - भगवान भाई
एंकर - देशभर की 800 जेलो में हजारो कैदियों को अपराध छोड़कर सदभावना का संदेश देकर इंडिया बुक आॅफ रिकार्ड में नाम दर्ज करवाने वाले ब्र्ह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविधालय मुखालय माउंट आबू राजस्थान से रादौर एक कार्यक्रम में पहुँचे भगवान भाई ने कहा की वे जेलो में जाकर कैदियों को संदेश देते है की बदला लेने सोच की बजाए खुद को बदलने का प्रयास करेगें तो सही रूप आप सफल व्यक्ति बन सकते है।
वीओ - कार्यक्रम के बाद पत्रकारो से बातचीत में भगवान भाई ने कहा की वर्त्तमान के परिवेश में नैतिक शिक्षा के आधार से सवयम को सशक्त बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया व्यवहार में निखार लाने से एवं मनोबल को बढ़ाने के लिए नैतिक शिक्षा संजीवनी बूटी की तरह काम आती है। उन्होंने कहा कि नारी सशक्तिकरण का कार्य तभी सार्थक हो सकेगा जब प्रत्येक महिला शिक्षित होकर अपने अधिकारों का प्रयोग करेगी। एक पुरूष जब शिक्षित होता है तो वह एक घर को समृद्ध करता है लेकिन जब एक महिला शिक्षित होती है तो वह दो घरों में उजाला करने का कार्य करती है। उन्होंने कहा कि जीवन की समस्याओं के प्रति व्यर्थ का चिन्तन करने से तनाव पैदा होता है। तनाव से अनेक प्रकार की बीमारियाँ पैदा हो जाती हैं। तनाव से मुक्त बनने के लिए राजयोग सीखना जरूरी है।

शिव परमात्मा इस धरा पवर आ चुके है








वर्तमान समय धरती की दशा
वर्तमान समय चारों और अत्याचार,भ्रष्टाचार,असत्य,हिंसा और अश्लीलता का बोलबाला है । अधर्म अपनी चरम सीमा पर है और पाप का घडा भर  चुका है । हर मनुष्य दु:खी और अशांत है । काम क्रोध,लोभ, मोह और अहंकार के वशीभूत मानव के कृत्यों से आज सारी धरती जल रही हैं । यही वह समय है जब स्वयं परमात्मा को बुराई और अधर्म का विनाश कार अच्छाई और सतधर्म की फिर संस्थापना करने हेतु इस धरती पर आना पडता है । सभी धर्म का यही मानना है कि जब भी अधर्म बढता हैं तब परमात्मा को इस धरती पर आना पडता है । वर्तमान समय हम युग परिवर्तन काल से गुजर रहे हैं जब कलियुग की समाप्ति  और सतयुग का आरंभ होता है । इस पावन बेला को संगमयुग कहा जाता है । यही समय है जब स्वयं परमात्मा इस धरा पर अवतरित होते है और मनुष्यात्माओं को पावन बनाकर सतयुग की पुनस्र्थापना करते है।
शिव परमात्मा इस धरा पवर आ चुके है
यश खुशखबरी हम आपको बताना चाहते है कि परमपिता इस धरती पर अवतरित हो चुके है । इस बात को शायद आप असानी से न मानें परंतु यह सत्य है कि इस पुरानी पतित दुनिया को फिर से पावन बनाने के लिए स्वयं परमात्मा इस धरा पर अवतरित हो चुके है । सर्वसर्व शक्तीवान परमात्मा महान भारत देश के राजस्थान स्थित आबु पर्वत पर अवतरित हो चुके है और प्रजापिता ब्रम्ह बाबा के तन के माध्यम से गुप्त रिती से अपना अलौकिक कार्य कर रहे है । परमात्मा जिन्हे ईश्वर,भगवान,अल्लाह,गॉड आदि नामों से हम जानते है,निराकार ज्योतिबिंदु रुप है । वे विश्व की सभी आत्माओं के परमपिता हैं । परमात्मा के आदेशनुसार यह शुभ संदेश जन-जन तक पहुंचाया जा रहा है।
शिव परमात्मा क्या करने आए है ?
दुखहर्ता – सुखकर्ता परमात्मा आए हैं विश्व की सभी दु:खी आत्माओं को दु:खों से मुक्त करने,इस पुरानी पतित कलियुगी सृष्टी को फिर से नई पावन सतयुगी सृष्टी बनाने और विकारी मनुष्यों को फिर से श्रेष्ठाचारी देवता बनाने । परमपिता परमात्मा इस समय विश्व की सभी आत्माओं को पावन बनाकर फिर से अपने घर ब्रम्हलोक ले जाने आए हें । परमात्मा ज्ञान के सागर हैं जो वर्तमान समय हम आत्माओं को आध्यात्मिक ज्ञान औ रसहज राजयोग की शिक्षा दे रहे है । सहज राजयोग एक उसी ध्यान साधना है जिससे आत्मा के सभी पाप समाप्त हो जाते है और आत्मा फिर सेपावन सतोप्रधान बन जाती है । राजयोग के माध्यम से मुनुष्यात्मा फिर से देवात्मा बन जाती है । इस योग का अभ्यास कोई भी मनुष्य बडी आसानी से कर सकता है ।

नैतिक मूल्यो से सर्वांगीण विकाश - भगवन भाई











नैतिक मूल्यो से सर्वांगीण विकाश - भगवन भाई 
चिरकुंडा ०८ जनुअरी :- बचो के सर्वांगीण विकाश के लिये भौतिक शिक्षा के साथ साथ नैतिक शिक्षा कि भी आवशकता है। नैतिक शिक्षा से ही सर्वांगीण विकाश सम्भब है। उक्त उडगर प्रजापिता ब्रम्हा  कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउंट अबु राजस्थान से प्रधार हुए राज योगी ब्रम्हा कुमार  भगवन भाई  कहे। वे बुधवार को साहू कॉलेज और कुमारधुबी हाई स्कूल के छात्र - छात्रो" शिकचको  कि जीवन में नैतिक शिक्षा  का महत्व" विषय पर छात्रो को सम्बोधित करते हुये बोल रहे  थे। भगवन भाई ने कहा कि शेक्षाक्निक जगत में विदार्थीओ के लिए नैतिक मूल्य  को जीवन में धारण करने कि प्रेरणा देना आज कि आवस्यकता है।  उन्होंने कहा कि नैतिक मूल्यो कि कमी येही वक्तिगत सामाजिक पारिवारिक राष्ट्रीय एवांग  अंतररास्ट्रीय सर्व समश्याओं का मूल कारन है।  विद्यार्थियो का मूल्याङ्कन , आचरण , अनुशरण , लेखन - बेवहारिक ज्ञान एवअंग अन्य बातो के लिए प्रेरणा देने कि आवशकता है।  ज्ञान कि बैख करते हुए उन्होंने बताया कि जो शिक्चा विद्यार्थियो को अंधकार से प्रकाश कि और असत्य से सत्य कि और बंधनो से मुक्ति कि और ले जाए वही शिक्चा है।  उन्होंने कहा कि अपराध मुक्त समझ के लिए शंकरित शिक्चा जरुरी है। 
                      गुणवान बच्चे देश कि संपत्ति है 
भगवन भाई ने कहा कि आज कि बच्चे कल का भावी सकमज है।  अगर कल के भावी समाज को बेहतर बनाना चाहते हो तो स्कूल के माध्यमो से इन्ही बच्चो को नैतिक सद्गुणो कि शिक्चा कि अधर से चरितवन बनाए।  तब समझ बेहतर बन सकता है गुणवान व चरितवन बच्चे देश कि सच्ची संपत्ति है।  उन्होंने बताया कि एसे गुणवान और चरितवन बच्चे देश और समाज के लिए कुछ रचनात्मक कर्ज कर सकते है। 
उन्होंने भारतीय संस्कृति को याद दिलाते हुए कहा कि प्राचीन सांस्कृति आध्यात्मिकता कि रही जिस कारन प्राचीन मानव भी बंदनीय है और पूजनीय रहा।  उन्होंने बताया कि नैतिक शिक्चा से ही मानव के बेभर में निखार अत है। 
                        कुसंग  , सिनेमा , वेसन फर्शों से युवा भटके 
ब्रह्माकुमार भगवन भाई ने कहा कि वर्त्तमान समय कुषाणग , सिनेमा , व्यशन और फैशन से युवा पिरि भटक रही है।  अध्यात्मिक ज्ञान और नैतिक शिक्षा के दयारा युवा पिरि को नै दिशा मिल सकती है।  उन्होंने बताया कि सिनेमा , इंटरनेट व टीवी कि माध्यम से युवा पिरि पर पश्चात सांकृति का आघात हो रहा है।  इस आघात से युवा पिरि को बचने कि आवश्यता है।  उन्होंने बताया कि युवा पिरि को कुछ रचनात्मक कर्ज सिखाए तब उनकी शक्ति सही उपयोग में ला सकेंगे। बरिष्ट राजयोगी ब्रह्मा कुमार भगवन भाई ने कहा कि हमारे मूल्य हमारी विरासत है।  मूल्य कि संस्कृति के कारन आज भारत कि विषय में पहचान है।  इसलिए नैतिक मूल्य , मानवीय मूल्य़ो कि के लिए सभी को सामूहिक रूप में प्रयास करना चाहिए।  उन्होंने कहा कि मनुष्यो कि सोच ही उसके कर्मो का अधर बनता है इसकिये हमे अपने कर्मो पर ध्यान देना चाहिए कि हमारे कर्म विषय के लिए हितकारी हो। 
सकारात्मक चिंतन का महत्य बताते हुए उन्होंने कहा कि सकारात्मक चिंत्तन से समाज में मूल्यो कि खुश्बू फैलते है।  सकारात्मक चिंतन से जीवन कि हर समस्याओ का समाधान होता है।  उन्होंने शिक्षा का मूल उद्देश बताते हुए कहा कि चरितवन , गुणवान बनना ही शिक्षा का उद्द्येश है।  उन्होंने अड्यात्मिकता को मूल्यो का स्रोत बताते हुए कहा कि शांति, एकाग्रता , ईमानदारी , ध्यराजता , सहनशीलता अदि सद्गुण मानव जाती का श्रीनगर है ,
शतानी ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवा केंद्र कि बक अनीता बहिन ने अपना उद्बोध देता हुए कहा कि कुशांग , सिनेमा , वसंह और फैशन से वर्त्तमान युवा पिरि भटक रही है।  चरितवन बन्ने के किये युवा को इसीसे दूर रहना है।  अपराध मुक्त समाज के लिए चरितवन बनो।  उन्होंने राज योग का महत्व बताते हुए कहा कि राजयोग से एकहराता आयेगी।  
प्रधनाचार्य र बी साहू ने अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि वर्त्तमान समय बच्चो को नैतिक शिक्षा दयारा चरितवन बनाने कि बहुत अवस्ता है।  उन्होंने ब्रह्मा कुमार भगवन भाई का स्वागत किया।  प्रधानाचार्य मिश्रा जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।  इस कर्ज करम में ब क पिंकी  , बी क सुनीता , रघुपति भाई अदि उपश्थित थे

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Thursday, April 3, 2014

नैतिक मूल्यो से सर्वांगीण विकाश - भगवन भाई

  नैतिक मूल्यो से सर्वांगीण विकाश - भगवन भाई 
चिरकुंडा ०८ जनुअरी :- बचो के सर्वांगीण विकाश के लिये भौतिक शिक्षा के साथ साथ नैतिक शिक्षा कि भी आवशकता है। नैतिक शिक्षा से ही सर्वांगीण विकाश सम्भब है। उक्त उडगर प्रजापिता ब्रम्हा  कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउंट अबु राजस्थान से प्रधार हुए राज योगी ब्रम्हा कुमार  भगवन भाई  कहे। वे बुधवार को साहू कॉलेज और कुमारधुबी हाई स्कूल के छात्र - छात्रो" शिकचको  कि जीवन में नैतिक शिक्षा  का महत्व" विषय पर छात्रो को सम्बोधित करते हुये बोल रहे  थे। भगवन भाई ने कहा कि शेक्षाक्निक जगत में विदार्थीओ के लिए नैतिक मूल्य  को जीवन में धारण करने कि प्रेरणा देना आज कि आवस्यकता है।  उन्होंने कहा कि नैतिक मूल्यो कि कमी येही वक्तिगत सामाजिक पारिवारिक राष्ट्रीय एवांग  अंतररास्ट्रीय सर्व समश्याओं का मूल कारन है।  विद्यार्थियो का मूल्याङ्कन , आचरण , अनुशरण , लेखन - बेवहारिक ज्ञान एवअंग अन्य बातो के लिए प्रेरणा देने कि आवशकता है।  ज्ञान कि बैख करते हुए उन्होंने बताया कि जो शिक्चा विद्यार्थियो को अंधकार से प्रकाश कि और असत्य से सत्य कि और बंधनो से मुक्ति कि और ले जाए वही शिक्चा है।  उन्होंने कहा कि अपराध मुक्त समझ के लिए शंकरित शिक्चा जरुरी है। 

                      गुणवान बच्चे देश कि संपत्ति है 
भगवन भाई ने कहा कि आज कि बच्चे कल का भावी सकमज है।  अगर कल के भावी समाज को बेहतर बनाना चाहते हो तो स्कूल के माध्यमो से इन्ही बच्चो को नैतिक सद्गुणो कि शिक्चा कि अधर से चरितवन बनाए।  तब समझ बेहतर बन सकता है गुणवान व चरितवन बच्चे देश कि सच्ची संपत्ति है।  उन्होंने बताया कि एसे गुणवान और चरितवन बच्चे देश और समाज के लिए कुछ रचनात्मक कर्ज कर सकते है। 
उन्होंने भारतीय संस्कृति को याद दिलाते हुए कहा कि प्राचीन सांस्कृति आध्यात्मिकता कि रही जिस कारन प्राचीन मानव भी बंदनीय है और पूजनीय रहा।  उन्होंने बताया कि नैतिक शिक्चा से ही मानव के बेभर में निखार अत है। 
                        कुसंग  , सिनेमा , वेसन फर्शों से युवा भटके 
ब्रह्माकुमार भगवन भाई ने कहा कि वर्त्तमान समय कुषाणग , सिनेमा , व्यशन और फैशन से युवा पिरि भटक रही है।  अध्यात्मिक ज्ञान और नैतिक शिक्षा के दयारा युवा पिरि को नै दिशा मिल सकती है।  उन्होंने बताया कि सिनेमा , इंटरनेट व टीवी कि माध्यम से युवा पिरि पर पश्चात सांकृति का आघात हो रहा है।  इस आघात से युवा पिरि को बचने कि आवश्यता है।  उन्होंने बताया कि युवा पिरि को कुछ रचनात्मक कर्ज सिखाए तब उनकी शक्ति सही उपयोग में ला सकेंगे। बरिष्ट राजयोगी ब्रह्मा कुमार भगवन भाई ने कहा कि हमारे मूल्य हमारी विरासत है।  मूल्य कि संस्कृति के कारन आज भारत कि विषय में पहचान है।  इसलिए नैतिक मूल्य , मानवीय मूल्य़ो कि के लिए सभी को सामूहिक रूप में प्रयास करना चाहिए।  उन्होंने कहा कि मनुष्यो कि सोच ही उसके कर्मो का अधर बनता है इसकिये हमे अपने कर्मो पर ध्यान देना चाहिए कि हमारे कर्म विषय के लिए हितकारी हो। 
सकारात्मक चिंतन का महत्य बताते हुए उन्होंने कहा कि सकारात्मक चिंत्तन से समाज में मूल्यो कि खुश्बू फैलते है।  सकारात्मक चिंतन से जीवन कि हर समस्याओ का समाधान होता है।  उन्होंने शिक्षा का मूल उद्देश बताते हुए कहा कि चरितवन , गुणवान बनना ही शिक्षा का उद्द्येश है।  उन्होंने अड्यात्मिकता को मूल्यो का स्रोत बताते हुए कहा कि शांति, एकाग्रता , ईमानदारी , ध्यराजता , सहनशीलता अदि सद्गुण मानव जाती का श्रीनगर है ,
शतानी ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवा केंद्र कि बक अनीता बहिन ने अपना उद्बोध देता हुए कहा कि कुशांग , सिनेमा , वसंह और फैशन से वर्त्तमान युवा पिरि भटक रही है।  चरितवन बन्ने के किये युवा को इसीसे दूर रहना है।  अपराध मुक्त समाज के लिए चरितवन बनो।  उन्होंने राज योग का महत्व बताते हुए कहा कि राजयोग से एकहराता आयेगी।  
प्रधनाचार्य र बी साहू ने अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि वर्त्तमान समय बच्चो को नैतिक शिक्षा दयारा चरितवन बनाने कि बहुत अवस्ता है।  उन्होंने ब्रह्मा कुमार भगवन भाई का स्वागत किया।  प्रधानाचार्य मिश्रा जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।  इस कर्ज करम में ब क पिंकी  , बी क सुनीता , रघुपति भाई अदि उपश्थित थे

नैतिक मूल्यो से सर्वांगीण विकाश - भगवन भाई

नैतिक मूल्यो से सर्वांगीण विकाश - भगवन भाई
चिरकुंडा ०८ जनुअरी :- बचो के सर्वांगीण विकाश के लिये भौतिक शिक्षा के साथ साथ नैतिक शिक्षा कि भी आवशकता है। नैतिक शिक्षा से ही सर्वांगीण विकाश सम्भब है। उक्त उडगर प्रजापिता ब्रम्हा  कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउंट अबु राजस्थान से प्रधार हुए राज योगी ब्रम्हा कुमार  भगवन भाई  कहे। वे बुधवार को साहू कॉलेज और कुमारधुबी हाई स्कूल के छात्र - छात्रो" शिकचको  कि जीवन में नैतिक शिक्षा  का महत्व" विषय पर छात्रो को सम्बोधित करते हुये बोल रहे  थे। भगवन भाई ने कहा कि शेक्षाक्निक जगत में विदार्थीओ के लिए नैतिक मूल्य  को जीवन में धारण करने कि प्रेरणा देना आज कि आवस्यकता है।  उन्होंने कहा कि नैतिक मूल्यो कि कमी येही वक्तिगत सामाजिक पारिवारिक राष्ट्रीय एवांग  अंतररास्ट्रीय सर्व समश्याओं का मूल कारन है।  विद्यार्थियो का मूल्याङ्कन , आचरण , अनुशरण , लेखन - बेवहारिक ज्ञान एवअंग अन्य बातो के लिए प्रेरणा देने कि आवशकता है।  ज्ञान कि बैख करते हुए उन्होंने बताया कि जो शिक्चा विद्यार्थियो को अंधकार से प्रकाश कि और असत्य से सत्य कि और बंधनो से मुक्ति कि और ले जाए वही शिक्चा है।  उन्होंने कहा कि अपराध मुक्त समझ के लिए शंकरित शिक्चा जरुरी है। 

                      गुणवान बच्चे देश कि संपत्ति है 
भगवन भाई ने कहा कि आज कि बच्चे कल का भावी सकमज है।  अगर कल के भावी समाज को बेहतर बनाना चाहते हो तो स्कूल के माध्यमो से इन्ही बच्चो को नैतिक सद्गुणो कि शिक्चा कि अधर से चरितवन बनाए।  तब समझ बेहतर बन सकता है गुणवान व चरितवन बच्चे देश कि सच्ची संपत्ति है।  उन्होंने बताया कि एसे गुणवान और चरितवन बच्चे देश और समाज के लिए कुछ रचनात्मक कर्ज कर सकते है। 
उन्होंने भारतीय संस्कृति को याद दिलाते हुए कहा कि प्राचीन सांस्कृति आध्यात्मिकता कि रही जिस कारन प्राचीन मानव भी बंदनीय है और पूजनीय रहा।  उन्होंने बताया कि नैतिक शिक्चा से ही मानव के बेभर में निखार अत है। 
                        कुसंग  , सिनेमा , वेसन फर्शों से युवा भटके 
ब्रह्माकुमार भगवन भाई ने कहा कि वर्त्तमान समय कुषाणग , सिनेमा , व्यशन और फैशन से युवा पिरि भटक रही है।  अध्यात्मिक ज्ञान और नैतिक शिक्षा के दयारा युवा पिरि को नै दिशा मिल सकती है।  उन्होंने बताया कि सिनेमा , इंटरनेट व टीवी कि माध्यम से युवा पिरि पर पश्चात सांकृति का आघात हो रहा है।  इस आघात से युवा पिरि को बचने कि आवश्यता है।  उन्होंने बताया कि युवा पिरि को कुछ रचनात्मक कर्ज सिखाए तब उनकी शक्ति सही उपयोग में ला सकेंगे। बरिष्ट राजयोगी ब्रह्मा कुमार भगवन भाई ने कहा कि हमारे मूल्य हमारी विरासत है।  मूल्य कि संस्कृति के कारन आज भारत कि विषय में पहचान है।  इसलिए नैतिक मूल्य , मानवीय मूल्य़ो कि के लिए सभी को सामूहिक रूप में प्रयास करना चाहिए।  उन्होंने कहा कि मनुष्यो कि सोच ही उसके कर्मो का अधर बनता है इसकिये हमे अपने कर्मो पर ध्यान देना चाहिए कि हमारे कर्म विषय के लिए हितकारी हो। 
सकारात्मक चिंतन का महत्य बताते हुए उन्होंने कहा कि सकारात्मक चिंत्तन से समाज में मूल्यो कि खुश्बू फैलते है।  सकारात्मक चिंतन से जीवन कि हर समस्याओ का समाधान होता है।  उन्होंने शिक्षा का मूल उद्देश बताते हुए कहा कि चरितवन , गुणवान बनना ही शिक्षा का उद्द्येश है।  उन्होंने अड्यात्मिकता को मूल्यो का स्रोत बताते हुए कहा कि शांति, एकाग्रता , ईमानदारी , ध्यराजता , सहनशीलता अदि सद्गुण मानव जाती का श्रीनगर है ,
शतानी ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवा केंद्र कि बक अनीता बहिन ने अपना उद्बोध देता हुए कहा कि कुशांग , सिनेमा , वसंह और फैशन से वर्त्तमान युवा पिरि भटक रही है।  चरितवन बन्ने के किये युवा को इसीसे दूर रहना है।  अपराध मुक्त समाज के लिए चरितवन बनो।  उन्होंने राज योग का महत्व बताते हुए कहा कि राजयोग से एकहराता आयेगी।  
प्रधनाचार्य र बी साहू ने अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि वर्त्तमान समय बच्चो को नैतिक शिक्षा दयारा चरितवन बनाने कि बहुत अवस्ता है।  उन्होंने ब्रह्मा कुमार भगवन भाई का स्वागत किया।  प्रधानाचार्य मिश्रा जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।  इस कर्ज करम में ब क पिंकी  , बी क सुनीता , रघुपति भाई अदि उपश्थित थे

Wednesday, April 2, 2014

जीवन में वही व्यक्ति आगे बढ़ पाता है जिसने स्वयं पर नियंत्रण कर लिया हो




Bhaskar News Network | Mar 14, 2014, 03:50AM IST
भास्कर न्यूज - करनाल
जीवन में वही व्यक्ति आगे बढ़ पाता है और पद प्रतिष्ठा प्राप्त करता है जिसने स्वयं पर नियंत्रण कर लिया हो। अन्यथा की स्थिति में व्यक्ति आजीवन पर भटकाव का सामना करता है। गुरुवार को सदर बाजार स्थित शिव स्मृति भवन में आयोजित कार्यक्रम में प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू से आए ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने यह बात कही। वह राजयोग पर बोल रहे थे। भगवान भाई ने कहा कि राजा वही है जिसने स्वयं को जीत लिया है। स्वयं अर्थात कर्मेंद्रियां पर जिसका नियंत्रण है। जिसकी आत्मा पवित्र है और जो नकारात्मक विचारों को सकारात्मक दिशा में परिवर्तित करके अपनी ऊर्जा का सही प्रयोग कर सके। उन्होंने उपस्थित साधकों को राजयोग का अभ्यास भी कराया। ब्रह्मकुमारी किरण ने मुरली सुनाई और साधकों को नियमित आश्रम पहुंचकर आध्यात्मिक सुख प्राप्ति के लिए प्रेरित किया।