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Saturday, October 1, 2011


 मेरे बाबा प्यारे बाबा मीठे बाबा दयालु बाबा कृपालु बाबा, जो मेरे माता पिता बन्धु सखा स्वामी खुदा दोस्त है ... बापटीचरगुरु , सतबाप सतटीचर सतगुरु सदगुरु , सुप्रीमबाप सुप्रीमटीचर सुप्रीमगुरु , परमबाप परमटीचर परमगुरु , रूहानीबाप रूहानीटीचर रूहानीगुरु , बेहदबाप बेहदटीचर बेहदगुरु , जगतबाप जगतगुरु जगतटीचर , सर्व का बाप सर्व का टीचर सर्व का गुरु , सत्यत्रिमूर्ती शिवबाप सत्यत्रिमूर्ति शिवटीचर सत्यत्रिमूर्ति शिवगुरु .... जो ज्ञान का सागर , पवित्रता का सागर , सुख का सागर , शांति का सागर , प्रेम का सागर , आनन्द का सागर , सर्व शक्तियों का सागर , सर्व गुणों का सागर , सर्व सम्पत्ति का सागर और सर्वज्ञ है....
 मैं आत्मा बाप को फोलो करने वाला , बाप की श्रीमत वाला , ब्रहस्पति की दशा वाला बाप का सहयोगी आज्ञाकारी पुरुशोत्तम बच्चा हूँ .... मनमनाभव में स्थित हूँ ....... श्रेष्ठ कर्म करने वाला बाप का सहयोगी हूँ .... हम भारत को पुरुशोत्तम बनाने वाले और सर्व को पुरुशोत्तम बनने का मंत्र देने वाला सतोप्रधान सतयुगी स्वर्गवासी पुरुशोत्तम है ..... हम सहज याद वाले , योगबल , बाप की याद वाले पवित्र पावन धर्मात्मा महात्मा देवात्मा पुण्यआत्मा कर्मयोगी है ...... याद का चार्ट रखने वाला बाप का निडर बच्चा हूँ .. अंधों की लाठी है ..... हम पूरा पढने वाले उंच पद वाले पावन देवी देवता है .....मैं आत्मा सर्व खजानों से भरपूर बन अपने चहरे से सेवा करने वाला सच्चा सेवाधारी हूँ ...... समय और संकल्प के खजानों को जमा करने वाला बेहद का एक्टर हूँ ....... मैं आत्मा बाप का नाम बाला करने वाला बेहद का एक्टर हूँ .......
 ज्ञान सूची ...... बाप की निंदा करना माना इंच पद माना राजा नहीं बन सकते ..... उंच पद है तो भूल की भी कड़ी सजा है .......

पूरने वा अवगुणो का अग्नि संस्कार .........६३ अवगुण ...... सितंबर ०१ ......... नाम मान शान का भिखारीपन .... मैं आत्मा नाम मान से परे हूँ और बाप का नाम बाला करने वाला हूँ .....

... मैं आत्मा परमधाम शान्तिधाम शिवालय में हूँ ..... शिवबाबा के साथ हूँ ..... समीप हूँ .... समान हूँ ..... सम्मुख हूँ ..... सेफ हूँ ..... बाप की छत्रछाया में हूँ .....अष्ट इष्ट महान सर्व श्रेष्ठ हूँ ...... मैं आत्मा मास्टर ज्ञानसूर्य हूँ .... मास्टर रचयिता हूँ ..... मास्टर महाकाल हूँ ..... मास्टर सर्व शक्तिवान हूँ ..... शिव शक्ति कमबाइनड हूँ ..... अकालतक्खनशीन हूँ ....अकालमूर्त हूँ ..... अचल अडोल अंगद एकरस एकटिक एकाग्र स्थिरियम और बीजरूप हूँ ........ मैं आत्मा जागती ज्योत अथक निन्द्राजित कर्मयोगी धर्मात्मा महात्मा देवात्मा पुण्य आत्मा हूँ ........ शक्तिसेना हूँ ..... शक्तिदल हूँ ...... शक्तिआर्मी सर्वशक्तिमान हूँ ........ रुहे गुलाब .... जलतीज्वाला .... ज्वालामुखी .... ज्वालास्वरूप .... ज्वालाअग्नि हूँ .... मैं आत्मा..... नाम मान शान का भिखारीपन .... .......... के संस्कार का अग्नि संस्कार कर रही हूँ .... जला रही हूँ ...... भस्म कर रही हूँ ...... नाम मान से परे हूँ और बाप का नाम बाला करने वाला हूँ .....
 ....मैं आत्मा महारथी हनुमान महावीर विजयी रूहानी सेनानी हूँ ...... मैं आत्मा अवगुणों का भस्म करने वाली देही अभिमानी, आत्म-अभिमानी, रूहानी अभिमानी, परमात्म अभिमानी, परमात्मा ज्ञानी, परमात्म भाग्यवान ...... सर्वगुण सम्पन्न ....... सोले काला सम्पूर्ण ..... सम्पूर्ण निर्विकारी ..... मर्यादा पुरुशोत्तम ....... डबल अहिंसक हूँ ...... डबल ताजधारी विश्व का मालिक हूँ ....... ताजधारी तख्तधारी तिलकधारी दिलतख़्तनशीन डबललाइट सूर्यवंशी शूरवीर महाबली महाबलवान, बाहु बलि पहेलवान ..... अष्ट शक्तिधारी ..... अष्ट भुजाधारी ..... अस्त्र शस्त्रधारी ..... शक्तिमूर्त ...... संहारनीमूर्त ..... अलंकारीमूर्त ...... कल्याणीमूर्त ...... श्रुन्गारीमूर्त ..... अनुभवीमूर्त और लाइफ में सदा प्रेक्टिकलमूर्त शिवमइ शक्ति हूँ ..........

शोर्ट होमवर्क ......... मैं आत्मासहज याद वाला अन्धो की लाठी , योगबल वाला सहयोगी , याद का चार्ट वाला पावन , बाप की श्रीमत वाला पुण्य आत्मा , भारत को पुरुशोत्तम बनाने वाला और सर्व को पुरुशोत्तम का मन्त्र देने वाला ब्रहस्पति की दशा वाला
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