हम कौन है और क्या करते हैं?
ब्रह्माकुमारीज़ क्या है?
ब्रह्माकुमारीज़ (BK) 1930 के दशक में भारत में ब्रह्मा बाबा के द्वारा स्थापित की गई संस्था है, जिसका आध्यात्मिक मुख्यालय इस समय भारत के राजस्थान माउण्ट आबू में है। भारत के बाहर ब्रह्माकुमारीज़ की सेवायें 1971 में शुरू हुई और इस समय विश्वभर में 110 देश और भूखण्डों में अपने सेवाकेन्द्रों के माध्यम से फैली हुई है। जिसके साथ लगभग 10 लाख विद्यार्थी जुड़े हुए हैं। विभिन्न संस्कृति और पृष्ठभूमि के लोगों को अपने आत्मा के निजी और श्रेष्ठ स्वभाव के अनुरूप जीना और बेहतर विश्व के निर्माण के लिए योगदान करने की प्रेरणा देते हुए ब्रह्माकुमारीज़ के द्वारा आध्यात्मिक ज्ञान और चिन्तनात्मक अभ्यास कराया जाता है।
ब्रह्माकुमारीज़ का लक्ष्य क्या है?
ब्रह्माकुमारीज़ इन लक्ष्यों को कैसे पूरा करती है?
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने सेन्टर के माध्यम से ब्रह्माकुमारीज़ राजयोग मेडिटेशन कोर्स करने के लिए लोगों को आमंत्रित करती है, साथ-साथ अनेक प्रवचन, कार्यशालायें, छोटे कोर्सेज़ और कार्यक्रमों के माध्यम से व्यक्तिगत विकास में मदद करती है। स्थानीय स्तर पर लोगों की सेवा हेतु विभिन्न समाज कल्याण के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्रह्माकुमारीज़ के प्रतिनिधि भागीदारी में किये गये कार्यों के माध्यम से विभिन्न प्रोजेक्ट के द्वारा लोगों को उन गतिविधियों में शामिल होकर अपने सामाजिक और मानवीय उत्तरदायित्य निभाने का अवसर प्रदान किया जाता है।
ब्रह्माकुमारीज़ के द्वारा स्थानीय समाज को क्या सहयोग मिलता है?
स्थानीय समाज तक पहुँचकर उन्हें सहयोग देने का कई बार ब्रह्माकुमारीज़ की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। मेडिटेशन सिखाने के लिए अनेक सम्मेलन, कोर्सेज़ और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है। साथ-साथ व्यक्तिगत विकास और समाज में एक दूसरे के साथ मिलजुलकर रहते हुए काम करने के लिए प्रेरित किया जाता है। कोर्सेज़ और प्रस्तुतियाँ देश, संस्कृति और स्थानीय सुविधा के अनुसार होती हैं। अपने क्षेत्र में कोर्सेज़ के बारे में जानकारी के लिए
इन कोर्सेज़ को सामाजिक केन्द्र, कारागार, अस्पताल, वृद्धाश्रम, नशामुक्ति केन्द्र, स्कूल और स्थानीय व्यवसाइयों आदि के बीच कराया जाता है। अपने जीवन में स्वास्थ्य और जीवन के स्तर को श्रेष्ठ बनाने हेतु यह कोर्सेज़ व्यावहारिक और प्रयोगात्मक आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित होते हैं। ब्रह्माकुमारीज़ की शिक्षाओं में से इसकी सामग्री को लिया जाता है। व्यक्ति अपने आत्मानुभूति के साथ आध्यात्मिकता को अपने जीवनकौशल के साथ प्रयोग में लाते हुए जीवन की सम्पूर्णता को अनुभव करता है जिससे सम्बन्धों में भी सरलता आती जाती है।
राजयोग ध्यान के साथ-साथ अन्य कोर्सेज़ जो लोगों को दिये जाते हैं उसमें शामिल हैं:
इसके अलावा सहयोग के लिए अन्य सेवायें जो उपलब्ध हैं।
गतिविधियों के अन्य क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य सुधार, सर्वधर्म समभाव, और कारागार कार्यक्रम किये जाते हैं। कई स्थानों पर आवासीय रिट्रीट सेन्टर्स बने हुए हैं जिनके द्वारा सहयोगात्मक और पोषणात्मक वातावरण उपलब्ध कराया जाता है जिसमें व्यक्ति और व्यवसायी ग्रुप आध्यात्मिकता और राजयोग के अभ्यास को समझकर अपने व्यक्तिगत और पारिवारिक और कार्यक्षेत्र पर उसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
वैश्विक पहल एवं भागीदारी
ब्रह्माकुमारीज़ किस तरह से वैश्विक रूप से अपनी भागीदारी एवं पहल करती है
ब्रह्माकुमारीज़ कई तरह से भागीदारी में कार्य करती है, जिसमें उद्देश्य और सिद्धान्त एक जैसे होते हैं। भागीदारी में समाविष्ट है।
ब्रह्माकुमारीज़ की वैश्विक पहल यह रचनात्मक तरीका उन लोगों के विचारों की उपज है जो अपने व्यक्तिगत जीवन में आध्यात्मिक उन्नति के साथ दुनिया में अपना कार्य भी करते रहते हैं। उनके सामूहिक ज्ञान और आन्तरिक गहरी समझ के आधार पर वृहद जनसंख्या में पहुंचकर सामयिक वैश्विक मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए आध्यात्मिकता के साथ धर्मनिर्पेक्षता के दोहरे प्रभाव का इस्तेमाल करना। रोजमर्रा के जीवन में सहायक साबित होने वाले कोर्सेज़, गतिविधियाँ, कार्यक्रम और अन्य पहलुओं की रचना की जाती है। उनके द्वारा वृहद सांस्कृतिक संदर्भ और जिसमें शामिल है
यह एक आसान अभ्यास है जिसमें हम दूसरों को सक्षम और मजबूत बनाने की सेवा कर सकते हैं। इसी प्रक्रिया में दैनिक जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए हम अपनी क्षमता को भी बढ़ाते हैं। वह एक, जिसे हम किसी भी नाम से पुकारे, जिसके साथ हम अपनी हर बात साझा करते हैं, जिसके साथ हम जुड़े हुए हैं, हम आपको आमंत्रित करते हैं, आईये हर साल हमारे साथ जुड़िये एक सामूहिक प्रयास उस एक के साथ जुड़ने का, 21 सितम्बर से। जिसे युनाइटेड नेशन ने शान्ति दिवस के रूप में घोषित किया है। 2 अक्टूबर जो युनाइटेड नेशन्स के द्वारा अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
शिक्षा और जीवन पद्धति
ब्रह्माकुमारीज़ का मुख्य पाठ्यक्रम क्या है?
राजयोग ध्यान कोर्स ब्रह्माकुमारीज़ पाठ्यक्रम के मूल में है । इस पाठ्यक्रम के द्वारा आत्मा और प्रकृति के बीच के सम्बन्ध की वास्तविक पहचान कराई जाती है। साथ-साथ आत्माओं का आपसी जुड़ाव, परमात्मा और भौतिक विश्व इसकी समझ को भी बढ़ाया जाता है।
कक्षाओं की इस श्रृंखला के द्वारा आपको कुशलतापूर्वक प्रभावशाली तरीके से अपनी भीतरी यात्रा कराई जाती है। इनके बारे में जानिये:
एक पाठ को दो भागों में दिया जाता है।
ब्रह्माकुमारीज़ जीवनशैली के मुख्य स्तम्भ क्या हैं?
इसके मुख्य चार स्तम्भ है
ब्रह्माकुमारीज़ के जीवन क्रम में क्या कोई विशेष जीवनशैली के नियम है?
आत्म अनुभूति के इस सफर में कुछ नियमों का पालन किया जाता है जिनका पालन करने के लिए बाध्य नहीं किया जाता परन्तु उनको धारण करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। ब्रह्माकुमारीज़ में इन नियमों का पालन करने का वातावरण बना हुआ है।
आध्यात्मिक ज्ञान का अध्ययन और उसका जीवन में अभ्यास यह हरेक की व्यक्तिगत आध्यात्मिक यात्रा से जुड़ा हुआ है। यह हरेक व्यक्ति की व्यक्तिगत जिम्मेदारी है कि वो ब्रह्माकुमारीज़ के द्वारा प्रोत्साहित किये जाने वाले कौन-से नियमों को अपने जीवन में कितना पालन कर सकता है और कहाँ तक वो नियम अनुकूल हैं।
जीवनशैली में नियमों के दो मुख्य प्रकार देखे गये हैं।
ब्रह्माकुमारीज़ के परिवार का सदस्य बनने के लिए क्या हरेक को उनकी जीवनशैली को अपनाना होगा?
नहीं, यह एक शैक्षणिक संगठन है जिसमें हरेक प्रतिभागी को आध्यात्मिक उन्नति की प्रक्रिया में शामिल किया जाता है। हरेक व्यक्ति पाठ्यक्रम में से अपनी रुचि अनुसार किन बातों को चुनना है उसके लिए स्वतंत्र है। यहाँ एक मुक्त शिक्षा का वातावरण होता है जिसमें विभिन्न पृष्ठभूमि के लोग आते हैं, अपने साथ अपनी विशेषताओं की श्रेष्ठता को लेकर आते हैं। उनकी प्रतिबद्धता का स्तर उनका अपना निर्णय होता है।
क्या परिधान का कोई विशेष नियम है?
कोई विशेष परिधान का नियम नहीं है लेकिन जब हम बीके कोर्सेज़ या क्लासेज़ में शामिल होते हैं तब नियमित एवं साधारण वेशभूषा यथोचित है। बीके परिवार में सफेद रंग को विशेष प्राथमिकता दी जाती हैं क्योंकि इस रंग से साधारण जीवनशैली के आंतरिक पहचान होती है साथ-साथ यह रंग पवित्रता, स्वच्छता और सत्यता को भी दर्शाता है। जिन गुणों को राजयोग अभ्यास में सहयोगी माना जाता है।
ब्रह्माकुमारीज़ में धर्म को किस तरह से देखा जाता है?
ब्रह्माकुमारीज के द्वारा धर्म को धारणा के साथ जोड़ा जाता है। परमात्मा द्वारा मानवमात्र को सिखाया गया यह एक वैश्विक सिद्धान्त है कि धारणा के द्वारा आध्यात्मिक पुनर्निर्माण और उत्थान हो। इस बात पर ब्रह्माकुमारीज़ के द्वारा जोर दिया जाता है। धर्म का उद्देश्य है इस बात को समझना कि आध्यात्मिकता मानवमात्र के प्रति न्याय, शान्ति और स्वास्थ्य प्रदान करने की कुंजी है।
हरेक आत्मा फिर वो चाहे किसी भी धर्म की हो उसका परमात्मा के साथ सम्बन्ध, विश्वास, जीवन के अनुभवों की समझ और अभ्यास के कारण आध्यात्मिकता के ढांचे में ढली हुई है। भविष्य में यही आध्यात्मिकता गहरे विश्वास के साथ लौटेगी। व्यावहारिक रूप से इसका अर्थ है कि आत्मा के भीतरी श्रेष्ठतम् गुण प्रेम, करुणा, सत्य और अंहिसा के साथ जीवन व्यतीत किया जाये।
`ज्ञान आधारित' योग कैसे कार्य करता है?
ब्रह्माकुमारीज़ की शिक्षायें इस आधार पर टिकी हुई हैं कि विश्व में अपने परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है जिसमें चेतना का भी परिवर्तन हो रहा है। अनेक शिक्षाओं में से एक मुख्य शिक्षा यह है कि मानवता के वृक्ष का बीज एक है – भगवान, परमपिता परमात्मा जो सदा सर्व दैवी गुणों से सम्पन्न रहता है। एक बीज की सन्तान होने के नाते सर्व मानव जाति एक परिवार है। अपने बाहरी भौतिक आधारों से निकल कर सूक्ष्म रीति से भीतरी आध्यात्मिक अनुभव के साथ जुड़ना मनुष्य जाति को अपने स्रोत परमात्मा के साथ जुड़ने का अहसास कराता है और अपने निजी संस्कार शान्ति, सम्मान और स्नेह की पुनर्जागृति करता है।
राजयोग अभ्यास के लिए हरेक व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान का अध्ययन करना आवश्यक है। ज्ञान की समझ उसके प्रत्यक्ष जीवन में अभ्यास और धारणा के लिए अति आवश्यक है। राजयोग का लक्ष्य ही है आत्म सम्मान और शक्ति को हांसिल करना, इसलिए हरेक को अपने आध्यात्मिक यात्रा में इस समझ के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है। अध्ययन की प्रक्रिया बहुत सहज है: शिक्षाओं को ध्यान से सुनना और समझना; उस पर चिन्तन करना और उसके अर्थ को अपने जीवन में किस तरह से धारण करना है यह समझना; ज्ञान को धारण करना और अपने आत्मा के निजी संस्कारों को इमर्ज करना; व्यावाहारिक ज्ञान के अर्थ को समझकर हरेक कर्म के साथ जुड़े हुए गुण को प्रैक्टिकल में अमल में लाना।
राजयोग प्रशिक्षक की भूमिका क्या है?
टीचर शब्द का इस्तेमाल ऐसे व्यक्ति के लिए किया जाता है जो राजयोग अभ्यास के विभिन्न सत्रों के स्पष्टीकरण से व्यक्ति को ले जाते हुए योगाभ्यास में उसका मार्गदर्शन करता है। टीचर की भूमिका एक आध्यात्मिक प्रशिक्षक की होती है।
कोष प्रबन्धन
ब्रह्माकुमारीज़ को धन कोष कहाँ से प्राप्त होता है?
ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा दिये जाने वाले कोर्सेज़ और अन्य गतिविधियों से लाभान्वित होने वाले लोग अपनी स्वेच्छा से सहयोग देते हैं फिर वो चाहे धन के रूप में हो या सेवा के रूप में हो। ब्रह्माकुमारीज़ के विद्यार्थी औरों की सेवा करने के लिए प्रेरित होते हैं जो कि जब भी उन्हें समय मिले नियमित रूप से सेवाओं में यथाशक्ति सहयोगी बनते रहते हैं। यहाँ पर किसी भी प्रकार का सदस्यता शुल्क नहीं लिया जाता है।
कई धर्मार्थ संस्थायें राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय एजेन्सियों के द्वारा पर्यावरणीय और मानवीय सेवा में पहल हेतु धनराशि दी जाती है, जैसे कि सोलार एनर्जी प्रोजेक्ट, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में।
ब्रह्माकुमारीज़ के द्वारा सभी कोर्सेज़ और कार्यक्रम बिना मूल्य क्यों दिये जाते हैं?
आध्यात्मिक ज्ञान हरेक मानवमात्र का मूलभूत अधिकार है, इस सिद्धान्त के आधार पर ही ब्रह्माकुमारीज़ का कार्य शुरू से चलता आ रहा है। संस्था के संस्थापक ब्रह्मा बाबा का यह लक्ष्य था कि हरेक को उसके जाति, धर्म, आयु, लिंग, पृष्ठभूमि अथवा आर्थिक स्थिति को न देखते हुए उसके अन्दर की आध्यात्मिक क्षमता का विकास करने का अवसर बिना मूल्य मिलना चाहिए। ब्रह्माकुमारीज़ की सभी टीचर्स और विद्यार्थियों के द्वारा इसी सिद्धान्त को अपनाया जाता है।
सहभागिता
क्या कोई भी कोर्सेज़ और कार्यक्रमों में शामिल हो सकता है?
सभी वयस्क जो भी गतिविधि उन्हें पसन्द है उसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित हैं। स्थानीय सेवाकेन्द्र पर किसी भी कोर्स या गतिविधि में शामिल होने से पहले अनौपचारिक रूप से मुलाकात के द्वारा या फिर मिलकर की गई बातचीत के द्वारा हरेक को संस्था के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने का सुअवसर प्रदान किया जाता है। ज्यादातर कोर्सेज़ और कार्यक्रम में पूर्व पंजीकरण की आवश्यकता होती है।
क्या बच्चे भी सहभागी बन सकते हैं?
16 वर्ष और उसके ऊपर के युवा ग्रुप क्लासेज़ और गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। 16 वर्ष के नीचे के आयु के बच्चों को उनके अभिभावक अथवा किसी और का साथ होना आवश्यक है।
ब्रह्माकुमारीज़ के सभी सेन्टर्स अपने-अपने देश और शहरों के नियमों और कायदों के अनुसार बाल सुरक्षा सम्बन्धी नीति को अपनाते हैं।
राजयोग मेडिटेशन सीखने से पहले क्या मुझे कोई पूर्व सावधानी बरतने की आवश्यकता है?
साधारणता हरेक राजयोग मेडिटेशन से लाभ ले सकते हैं, अगर आप अनिश्चितता अथवा किसी मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं तो आपको यह सलाह दी जाती हैं कि मेडिटेशन सीखने से पहले अपने डॉक्टर को जरूर पूछें। यह भी बहुत जरूरी है कि डॉक्टर से पूछे बिना अपनी दवाईयों को कभी भी बन्द न करें।
क्या ब्रह्माकुमारीज़ सेन्टर काउन्सलिंग (परामर्श) भी देते हैं?
ब्रह्माकुमारीज़ के किसी भी सेन्टर पर काउन्सलिंग अथवा परामर्श नहीं दिया जाता है। उनके द्वारा वृहद स्तर पर विभिन्न कोर्सेज़ के माध्यम से आध्यात्मिक ज्ञान दिया जाता है। व्यक्ति को स्वतंत्रता है कि उसमें से अपनी इच्छा अनुसार किसी भी अभ्यास को चुन सकता है।
इतिहास और नेतृत्व
ब्रह्माकुमारीज़ की स्थापना कब और कैसे हुई?
सन् 1930 के दशक में सिन्ध हैदराबाद (जो इस समय पाकिस्तान का हिस्सा है) में ब्रह्मा बाबा, जो दादा लेखराज कृपलानी के नाम से प्रख्यात थे, के द्वारा ब्रह्माकुमारीज़ की स्थापना की गई। दादा लेखराज को विश्व परिवर्तन के साक्षात्कार उस दौरान हुए। सन् 1937 में उन्होंने आठ युवा बहनों का प्रबन्धन कमेटी बनाई और एक अनौपचारिक संगठन बनाया जिसे आज ब्रह्माकुमारीज़ के नाम से जाना जाता है।
ब्रह्माकुमारीज़ के संस्थापक का इतिहास क्या है?
दादा लेखराज बहुत ही सम्मानीय और सफल जौहरी थे। सन 1936 में उम्र के उस पड़ाव पर जब हरेक व्यक्ति अपनी सेवानिवृत्ति का प्लान बनाता है तब उन्होंने वास्तव में बहुत सक्रिय और उत्साहवर्धक जीवन में प्रवेश किया। गहरे आध्यात्मिक अनुभव और साक्षात्कारों की श्रृंखला के बाद उन्होंने एक बहुत शक्तिशाली खिंचाव महसूस किया और अपना व्यवसाय बन्द करके अपना समय, ऊर्जा और धन पूरी तरह से इस संगठन की स्थापना में लगा दिया जिसको बाद में ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय के नाम से जाना जाने लगा। जल्दी ही उन्हें लोग ब्रह्मा बाबा कहने लगे। उसके बाद उन्होंने अपना पूरा जीवन विभिन्न संस्कृति, आर्थिक और धार्मिक पृष्ठभूमि के लोगों को एक साथ लाकर उनके जीवन में आध्यात्मिक पहलू की पुनर्स्थापना और विकास करने में बिताया। उन्होंने हमेशा अपनी भूमिका को निमित्त मात्र के रूप में रखी, ना कि गुरु के रूप में। उन्होंने परमात्मा को ज्योति स्वरूप के रूप कल्याणकारी पिता के रूप में पहचाना जो कि ब्रह्माकुमारीज़ और उनके कार्यों की प्रारम्भिक प्रेरणा रही। मई 1950 में इन प्रारम्भिक सदस्यों के साथ कराची पाकिस्तान से माउण्ट आबू भारत में स्थानान्तरण किया। जहाँ वे 1969 अपनी देहावसान तक रहे।
संगठन और प्रशासन
ब्रह्माकुमारीज़ के वर्तमान मुख्य कौन हैं?
सन् 1969 में जब संस्था के संस्थापक का देहावसान हुआ उसके बाद शुरुआती सदस्यों में से युवा बहनों ने संस्था का कारोबार आगे बढ़ाया। इस समय उस आदि के कुछ मुख्य बहनों में से जो बची हैं वो ज्यादातर 80 से 90 की उम्र तक की हैं। जिनका होना संगठन को शक्ति प्रदान करता रहता है, क्योंकि अपने जीवन का अधिक्तर उन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान का गहन अध्ययन और उसके अभ्यास के अनुभव में बिताया है। ब्रह्माकुमारीज़ की इस समय की मुख्य प्रशासिका हैं दादी जानकी जी। दादी हृदयमोहिनी जी अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका और दादी रतनमोहिनी जी सह मुख्य प्रशासिका के रूप में प्रशासन के कार्य में सहयोगी हैं।
इन महिलाओं को प्यार से दादियाँ (बड़ी बहनें) कहा जाता है जो परमात्मा के प्रति समर्पण के साथ निमित्त बनकर सेवा करती हैं। वरिष्ठ योगी होने के साथ उनका आपस में बहुत स्नेह और सम्मान का रिश्ता है और विश्व सेवा के प्रति सम्पूर्ण निष्ठा है।
ब्रह्माकुमारीज़ का मतलब क्या है?
ब्रह्माकुमारीज़ का अर्थ है ब्रह्मा की बेटियां। विश्व परिवर्तन के सपने को साकार करने हेतु आध्यात्मिक शिक्षक के रूप में महिलाओं की भूमिका बहुत ही उपयोगी भूमिका साबित होती है। ब्रह्माबाबा ने इस बात को अच्छी तरह से महसूस किया कि बहनों में मूलत: कुछ ऐसे मूल्य अथवा गुण होते हैं जैसे धैर्यता, सहनशीलता, त्याग, दया और प्रेम जिसके आधार से उनके द्वारा लोगों को अपना व्यक्तिगत उन्नति परस्पर सम्बन्ध और एक दूसरे की सम्भाल करने वाले समाज का निर्माण किया जा सकता है। महिलाओं द्वारा किये जाने वाले संस्था के नेतृत्व को प्रदर्शित करने के लिए बाबा ने इसका नाम ब्रह्माकुमारीज़ आध्यात्मिक विश्व विद्यालय रखा।
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