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Saturday, June 21, 2014

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की ओर से









प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की ओर से उप जेल  में संस्कार परिवर्तन एवं व्यवहार शुद्धि विषय पर कार्यक्रम का आयोजन कर कैदियों को संस्कार युक्त शिक्षा दी गई। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि एक-दूसरे से बदला लेने से समस्या अधिक बढ़ती है। इसलिए बदला लेने के बजाय स्वयं को बदलना चाहिए।
कैदियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह स्थान कारागार नहीं बल्कि खुद को सुधारने के लिए सुधारगृह है। इस एकांत स्थान पर बैठकर स्वयं में परिवर्तन लाने की सोचो। चिंतन करने से स्वयं बदलाव आएगा। बताया कि कारागार जीवन में परिवर्तन लाने की तपोस्थली है। इस एकांत स्थान पर बैठकर आत्मचिंतन, स्वचिंतन और परमात्मा का चिंतन करें। इससे मनोबल बढ़ेगा और भविष्य में गलती नहीं होगी। बीती हुई घटनाओं और समस्याओं का चिंतन करने से मनुष्य दुखी और अशांत बनता है। इन घटनाओं को भूलकर उससे सीख लेना ही समझदारी है।
संचालिका बीके दक्षा ने बताया कि वास्तव में मनुष्य जन्मजात अपराधी नहीं होता बल्कि गलत संगत और लोभ लालच में मनुष्य यह सब करता है। जेल अधीक्षक एनआर भारद्वाज ने कहा कि समाज को परिवर्तित करने का कार्य सराहनीय है।

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