समस्तीपुर:- प्रजापिता ब्रह्माकुमारी में कर्मो की गति बड़ी गुह्य है कर्मो के आधार पर ही यह संसार चलता है, कर्माे से ही मनुष्य महान बनता है कर्मो से ही कंगाल बनता है। उक्त बातें प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू से आये राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहीं । वे रविवार को समस्तीपुर मंडल कारागार में बंदीयों को संस्कार परिवर्तन एवं व्यवहार शुद्धि विषय पर संबोधित कर रहे थे। भगवान भाई ने कहा कि। मनुष्य का जीवन बड़ा ही अनमोल है उसे व्यर्थ कर्मों में लगा कर व्यर्थ में नहीं गंवाना चाहिये। वास्तव में मनुष्य की गलतियां ही उसे सही रूप में इंसान बनाती हैं। केवल हमें गलतियों को स्वयं ही महसूस कर उसे अपने अंदर परिवर्तन करने की आवश्यकता है।
उन्होने आगे बंदियों को बताया कि यह कारागृह आपके लिये परिवर्तन केन्द्र है जिसमें एकांत में बैठकर स्वंय के बारे में सोचना है कि मैं इस संसार में क्यों आया हूँ मेरे जीवन का क्या उद्देश्य है भगवान ने मुझें किस उद्देश्य से इस संसार में भेजा है मैं यहां आकर क्या कर रहा हूँ वास्तव में मुझे क्या करना चाहिये ऐसा चिंतन कर अपने व्यवहार और संस्कारों में परिवर्तन ला सकते है। कर्मो से ही मानव तरता एवं कर्मो से ही वह डूबता है। उन्होने बताया कि कोई भी मनुष्य जन्मते अपराधी नही होता इस संसार में आने के बाद गलत संगत, गलत शिक्षा, व्यसन, नशा, काम, क्रोध, लोभ, लालच आदि बुराईयों के कारण ही अपराधी बन जाते है। गलत कर्म ही मनुष्य को दुष्प्रवृति वाला बनाता है। उन्होने बताया कि जीवन में अपराध होेेने पर मनुष्य को कारगृह में लाया जाता है इसलिए यह कारागृह नही बल्कि सुधार गृह है। संस्कार ने आपको अपने आप में सुधार लाने हेतु यहां रखा है। उन्होने कहा कि गलतियों का चिंतन कर तनाव मे जाने के बजाय उसमें बदलाव लाना जरूरी है।
उन्होने कहा कि तनाव में आने से अनेक शारीरिक बीमारियां होने की संभावना होती है। तनाव से दूर रहने के लिए गीता का महावाक्य सदा याद रखो कि जो हुआ वह अच्छा है, जो हो रहा वह अच्छा, जो होने वाला है वह और अच्छे से अच्छा होगा। भगवान भाई ने कहा कि जीवन की समस्या कुछ पिछले जन्मों के गलत कर्मो के कारण भी आती है इसलिए कर्मो को श्रेष्ठ बनाने का प्रयास करे। ब्रह्माकुमारीज् की सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी सविता बहन ने बंदी भाईयों को संबोधित करते हुये कहा कि हमारे कर्म बीज की तरह है जिस प्रकार बीज से पौधा निकलने में, वृक्ष बनने में फल लगने में समय लगता है उसी प्रकार हमारे कर्म रूपी बीज का फल में हमें अवश्य प्राप्त होता है। किसी कर्म का जल्द परिणाम प्राप्त होता है तो किसी कर्म का फल आने में समय लगता है इसलिए यदि हम अपने भविष्य को सुनहरा एवं सुख, शांति से सम्पन्न करना चाहते है तो हमें औरो को भी खुशी और सुख देकर कर्मो के श्रेष्ठ बीज बोने चाहिये। यदि हम कर्म के इस सिंद्धात को समझ ले तो हमारा जीवन खुशनुमा बन जायेगा। भगवान भाई ने बताया कि अपने आसुरी वृत्तियों को परिवर्तन करने के लिए आध्यत्मिकता की आवश्यकता है। उन्होनें बताया कि हम स्वयं को भूले, अपने पिता परमात्मा को भूले,कर्मो के परिणाम को भूले जिस कारण गलतियों हो जाती है। उन्होने बताया कि हम सभी आत्मा भाई भाई एक निराकार परमपिता परमात्मा के बच्चे है।
चांद, सूर्य, तारागण के पार से इस दुनियां में आये है जब इन बातो की स्मृति रहेगी तो हमारे द्वारा अपराध नही होगे। काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार मनोविकार हमारे दुश्मन है इन पर जीत पाना है। अगर हम कोई भी मजबूरी को परीक्षा समझकर उसे धैयता और सहन शीलता से पार करते है तो अने दुःख और धोखे से बच सकते है। उन्होने कहा कि अब जीवन में परिवर्तन लाकर हमें श्रेष्ठ चरित्रवान बनने का लक्ष्य रखना है, तब कारागृह आपके लिए सुधार गृह साबित होगा। उन्होने जीयो और जीने दो का संदेश देते हुये कहा कि आज के दिन पर सभी बंदी भाईयो से व्यसन, नशा, बुराई और अनेक कुरीतियों से भी स्वतंत्र बनने के लिये प्रतिज्ञाये भी कराई और उन्हें अच्छा इन्सान बनने की शुभ कामनाऐं दी। जेल अधीक्षक नन्द किशोर रजक ने ब्रह्माकुमारीज् द्वारा बिगड़े हुय मानव को फिर से सुधारने के इस अभियान की सराहना करते हुये कहा कि अब भगवान ने आपको सुधरने का मौका दिया है।
उन्होने आगे बंदियों को बताया कि यह कारागृह आपके लिये परिवर्तन केन्द्र है जिसमें एकांत में बैठकर स्वंय के बारे में सोचना है कि मैं इस संसार में क्यों आया हूँ मेरे जीवन का क्या उद्देश्य है भगवान ने मुझें किस उद्देश्य से इस संसार में भेजा है मैं यहां आकर क्या कर रहा हूँ वास्तव में मुझे क्या करना चाहिये ऐसा चिंतन कर अपने व्यवहार और संस्कारों में परिवर्तन ला सकते है। कर्मो से ही मानव तरता एवं कर्मो से ही वह डूबता है। उन्होने बताया कि कोई भी मनुष्य जन्मते अपराधी नही होता इस संसार में आने के बाद गलत संगत, गलत शिक्षा, व्यसन, नशा, काम, क्रोध, लोभ, लालच आदि बुराईयों के कारण ही अपराधी बन जाते है। गलत कर्म ही मनुष्य को दुष्प्रवृति वाला बनाता है। उन्होने बताया कि जीवन में अपराध होेेने पर मनुष्य को कारगृह में लाया जाता है इसलिए यह कारागृह नही बल्कि सुधार गृह है। संस्कार ने आपको अपने आप में सुधार लाने हेतु यहां रखा है। उन्होने कहा कि गलतियों का चिंतन कर तनाव मे जाने के बजाय उसमें बदलाव लाना जरूरी है।
उन्होने कहा कि तनाव में आने से अनेक शारीरिक बीमारियां होने की संभावना होती है। तनाव से दूर रहने के लिए गीता का महावाक्य सदा याद रखो कि जो हुआ वह अच्छा है, जो हो रहा वह अच्छा, जो होने वाला है वह और अच्छे से अच्छा होगा। भगवान भाई ने कहा कि जीवन की समस्या कुछ पिछले जन्मों के गलत कर्मो के कारण भी आती है इसलिए कर्मो को श्रेष्ठ बनाने का प्रयास करे। ब्रह्माकुमारीज् की सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी सविता बहन ने बंदी भाईयों को संबोधित करते हुये कहा कि हमारे कर्म बीज की तरह है जिस प्रकार बीज से पौधा निकलने में, वृक्ष बनने में फल लगने में समय लगता है उसी प्रकार हमारे कर्म रूपी बीज का फल में हमें अवश्य प्राप्त होता है। किसी कर्म का जल्द परिणाम प्राप्त होता है तो किसी कर्म का फल आने में समय लगता है इसलिए यदि हम अपने भविष्य को सुनहरा एवं सुख, शांति से सम्पन्न करना चाहते है तो हमें औरो को भी खुशी और सुख देकर कर्मो के श्रेष्ठ बीज बोने चाहिये। यदि हम कर्म के इस सिंद्धात को समझ ले तो हमारा जीवन खुशनुमा बन जायेगा। भगवान भाई ने बताया कि अपने आसुरी वृत्तियों को परिवर्तन करने के लिए आध्यत्मिकता की आवश्यकता है। उन्होनें बताया कि हम स्वयं को भूले, अपने पिता परमात्मा को भूले,कर्मो के परिणाम को भूले जिस कारण गलतियों हो जाती है। उन्होने बताया कि हम सभी आत्मा भाई भाई एक निराकार परमपिता परमात्मा के बच्चे है।
चांद, सूर्य, तारागण के पार से इस दुनियां में आये है जब इन बातो की स्मृति रहेगी तो हमारे द्वारा अपराध नही होगे। काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार मनोविकार हमारे दुश्मन है इन पर जीत पाना है। अगर हम कोई भी मजबूरी को परीक्षा समझकर उसे धैयता और सहन शीलता से पार करते है तो अने दुःख और धोखे से बच सकते है। उन्होने कहा कि अब जीवन में परिवर्तन लाकर हमें श्रेष्ठ चरित्रवान बनने का लक्ष्य रखना है, तब कारागृह आपके लिए सुधार गृह साबित होगा। उन्होने जीयो और जीने दो का संदेश देते हुये कहा कि आज के दिन पर सभी बंदी भाईयो से व्यसन, नशा, बुराई और अनेक कुरीतियों से भी स्वतंत्र बनने के लिये प्रतिज्ञाये भी कराई और उन्हें अच्छा इन्सान बनने की शुभ कामनाऐं दी। जेल अधीक्षक नन्द किशोर रजक ने ब्रह्माकुमारीज् द्वारा बिगड़े हुय मानव को फिर से सुधारने के इस अभियान की सराहना करते हुये कहा कि अब भगवान ने आपको सुधरने का मौका दिया है।